एग्रीस्टैक पंजीयन में गिरावट: 28 हजार 895 किसान हुए वंचित, अब चॉइस सेंटरों के चक्कर लगाने को मजबूर
बस्तर संभाग में इस साल एग्रीस्टैक पंजीयन में गिरावट देखने को मिली है। यहां के 28 हजार 895 किसानों का नाम सूची से बाहर हो गया है।
एग्रीस्टैक में 28 हजार 895 किसानों का नहीं हुआ पंजीयन
अनिल सामंत- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी सीजन शुरू होने से पहले ही बस्तर संभाग के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। खरीफ वर्ष 2025-26 के लिए एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर गुजर चुकी है लेकिन हजारों किसान अब भी अपंजीकृत रह गए हैं। जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष 2 लाख 81 हजार 5 किसानों ने पंजीयन कराया था,जबकि इस बार यह संख्या घटकर 2 लाख 52 हजार 110 रह गई है। यानी 28 हजार 895 किसानों का नाम सूची से बाहर हो गया है। यह स्थिति शासन और कृषि विभाग दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
संभाग भर में 16,047 किसानों की व्यक्तिगत जानकारी अपूर्ण है,वहीं 5,102 किसानों के पंजीयन कैरीफॉरवर्ड नियमों के तहत निरस्त कर दिए गए हैं। कई किसानों के आवेदन त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के कारण अधूरे रह गए हैं। पंजीयन की अंतिम तिथि बीत जाने से अब हजारों किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने के अधिकार से वंचित हो चुके हैं।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
किसानों की घटती संख्या को लेकर विपक्ष और किसान संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाए हैं कि किसानों को सूची से बाहर रखकर समर्थन मूल्य राशि बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कृषि विभाग का कहना है कि पंजीयन घटने का मुख्य कारण एग्रीस्टैक पोर्टल पर आवश्यक दस्तावेज अपलोड न करना,नामांतरण और बंटवारे की प्रक्रिया अधूरी रहना तथा भूइया सॉफ्टवेयर में अद्यतन जानकारी का अभाव है। वहीं बड़ी संख्या में वन अधिकार पट्टा (एफआरए) वाले किसानों के नाम भी तकनीकी कारणों से पंजीयन सूची से बाहर हो गए हैं।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान रकबा 22 प्रतिशत घटा
बस्तर जिले में इस बार धान रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत घटा है। बीजापुर में यह गिरावट 21.13 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 28.40 प्रतिशत, कांकेर में 20.52 प्रतिशत, कोंडागांव में 24.56 प्रतिशत, नारायणपुर में सबसे अधिक 41.93 प्रतिशत और सुकमा में 32.74 प्रतिशत दर्ज की गई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन को समय रहते दस्तावेज सत्यापन और नामांतरण प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए थी,ताकि किसानों को पंजीयन से वंचित न होना पड़े। अब हजारों वास्तविक किसानों को सरकारी खरीदी केंद्रों में धान बेचने का अवसर नहीं मिलेगा,जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर सीधा असर पड़ेगा और आगामी खरीफ सत्र में किसानों का विश्वास भी कमजोर पड़ सकता है।
समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो गए किसान
एग्रीस्टैक पंजीयन न कराने वाले किसान अब समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो गए हैं।अंतिम तिथि बीतते ही किसान चॉइस सेंटरों और कृषि विभाग के दफ्तरों में चक्कर लगाने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दस्तावेज सत्यापन और नामांतरण प्रक्रिया में सुधार नहीं हुआ तो अगले खरीफ सत्र में और बड़ी संख्या में किसान सरकारी खरीदी से बाहर हो जाएंगे।
यूनिफाइड पोर्टल में तिथि नहीं बढ़ा
एग्रिस्टेक पंजीयन नही कराने वाले किसानों का समर्थन मूल्य पर वर्तमान स्थिति में इसलिए संभव नहीं है। इस कारण केंद्र से एग्रिस्टेक पंजीयन तिथि में वृद्धि के ऐसा कोई आदेश नहीं आया है। हालांकि एग्रिस्टेक पंजीयन वर्तमान में भी चालू है। आने वाले दिनों में पंजीयन की तिथि में वॄद्धि होने से ही पंजीयन नही कराने वाले किसानों को एक और अवसर मिल सकता है।