बिहार की 1.50 करोड़ महिलाओं को नीतीश सरकार का तोहफा: 10,000 रुपए लौटाने की जरूरत नहीं, जानें योजना का पूरा सच

नीतीश सरकार ने स्पष्ट किया कि महिलाओं को दी गई 10 हजार की राशि कर्ज नहीं, बल्कि सम्मान राशि है। जानें ‘महिला रोजगार योजना’ की पूरी जानकारी।

Updated On 2025-11-02 10:41:00 IST

बिहार सरकार ने महिलाओं के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी "महिला रोजगार योजना" पर सोशल मीडिया में फैल रही अफवाहों का खंडन किया है। सरकार ने साफ तौर पर कहा कि राज्य की महिलाओं को रोजगार सृजन के लिए दी जा रही 10 हजार रुपए की राशि कभी वापस नहीं ली जाएगी। यह कोई कर्ज नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से अनुदान है। अफवाहें गलत हैं कि यह लोन है और भविष्य में चुकता करना पड़ेगा।

यह राशि 'महिला रोजगार योजना' के अंतर्गत प्रदान की जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इस आर्थिक सहायता से महिलाएं छोटे-मोटे व्यवसाय जैसे किराना दुकान, सिलाई-कढ़ाई, सब्जी बिक्री या अन्य स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं। सरकार का मानना है कि यह कदम महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा और परिवार की आय बढ़ाने में मदद करेगा।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, योजना के तहत अब तक बिहार भर में करीब 1.50 करोड़ महिलाओं को लाभ मिल चुका है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाओं से लेकर शहरी इलाकों की उद्यमी महिलाएं शामिल हैं। कई महिलाओं ने इस रकम से अपना कारोबार शुरू कर सफलता प्राप्त की है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है।

तेजस्वी यादव का बीजेपी पर तीखा प्रहार

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी हार के डर से महिलाओं को 10 हजार रुपये की 'रिश्वत' बांट रही है। तेजस्वी ने सवाल उठाया, “क्या चुनाव आयोग मर चुका है कि वह इस खुली धांधली पर चुप है?”

आरजेडी नेता के अनुसार, यह राशि किसी निजी फंड से नहीं, बल्कि बिहार के सरकारी खजाने से निकाली जा रही है, जो गरीबों का पैसा है। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी अपने संसाधनों का उपयोग करने की बजाय भ्रष्ट अधिकारियों के माध्यम से जनता के धन का दुरुपयोग कर रही है।

तेजस्वी ने आरोप लगाया कि ये अधिकारी पहले से ईडी की जांच के दायरे में हैं और अब चुनावी गड़बड़ियां कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र की हत्या है और चुनाव आयोग को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।

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