बिहार चुनाव 2025: पहले चरण में ऐतिहासिक वोटिंग के बाद नजरें दूसरे फेज पर, 8% ज्यादा मतदान की वजह क्या? जानिए

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 8% अधिक मतदान ने सबको चौंका दिया है। जानिए क्यों बढ़ी वोटिंग, क्या नीतीश फैक्टर अब भी काम कर रहा है, और विपक्ष को क्या मिला फायदा।

Updated On 2025-11-07 17:24:00 IST

Bihar Election 2025

Bihar election 2025: पहले चरण के मतदान ने बिहार में इस बार इतिहास रच दिया है। 2020 की तुलना में करीब 8 प्रतिशत अधिक वोटिंग (64.69%) दर्ज की गई है। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार मतदाताओं का उत्साह पहले से कहीं ज्यादा था। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी बंपर वोटिंग क्यों हुई? क्या यह किसी राजनीतिक लहर का नतीजा है या फिर चुनाव आयोग की सटीक तैयारी और लोगों की जागरूकता का परिणाम?

ज्यादा मतदान की वजह क्या है?

इलेक्शन मैनेजमेंट और नई तकनीक का असर
बिहार में इस बार बढ़े हुए मतदान के पीछे चुनाव आयोग की रणनीति को अहम माना जा रहा है। एसआईआर (Special Intensive Revision) के तहत मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर सुधार किए गए। फर्जी, मृत और डुप्लीकेट नाम हटाए गए। इससे वास्तविक मतदाताओं की संख्या कम हुई और प्रतिशत बढ़ा हुआ दिखा।

इसके अलावा, कई जिलों में QR कोड आधारित वोटर स्लिप, चेहरा पहचान तकनीक और डिजिटल वोटर लिस्ट लागू की गईं, जिससे मतदान पारदर्शी बना। आयोग ने मतदाताओं को उनके बूथ और मतदान केंद्र की पूरी जानकारी पहले से दी, जिसका असर मतदान केंद्रों पर दिखा।

महिला वोटर्स की रिकॉर्ड भागीदारी, नीतीश फैक्टर
बिहार के मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतारें इस बार सुर्खियों में रहीं। कई महिलाओं ने बताया कि वे नीतीश कुमार की योजनाओं से प्रभावित होकर वोट देने पहुंची हैं। ‘साइकिल योजना’, ‘पोशाक योजना’, ‘कन्या उत्थान योजना’ और ‘शराबबंदी’ जैसे फैसलों ने महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है।

गांवों में अब भी यह धारणा मजबूत है कि “नीतीश जी ने हमारी बात सुनी और हमें सम्मान दिया।” राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महिला वोटरों का यह समर्थन नीतीश के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

नीतीश के खिलाफ भी हुई बंपर वोटिंग
हालांकि यह भी सच है कि बिहार में इस बार नीतीश कुमार को हटाने की इच्छा भी लोगों में दिखाई दी। दिल्ली-एनसीआर और अन्य राज्यों में काम करने वाले हजारों मुस्लिम मतदाता छुट्टी लेकर बिहार लौटे ताकि भाजपा को वोट न मिले। इसी तरह, यादव, महादलित और अतिपिछड़े वर्ग के मतदाताओं में तेजस्वी यादव को मौका देने का जोश नजर आया।

लोगों में यह भावना दिखी कि अब बदलाव जरूरी है, क्योंकि लंबे समय से चली आ रही स्थिर सरकार अब थकान पैदा कर रही है। विपक्ष ने इस नाराजगी को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

तीसरे मोर्चे और साइलेंट वोटर का प्रभाव
इस बार प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान और कुछ छोटे दलों जैसे भीम आर्मी, वीआईपी पार्टी, हम आदि ने कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। इन दलों का मामूली 3-4% वोट भी कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

साथ ही, इस बार बड़ी संख्या में ‘साइलेंट वोटर’ यानी ऐसा वर्ग जो सार्वजनिक रूप से अपनी राय नहीं देता लेकिन मतदान जरूर करता है, बूथों तक पहुंचा। यह वर्ग नतीजों को अप्रत्याशित बना सकता है।

दोनों खेमों में बराबर जोश, क्लोज़ कंटेस्ट की संभावना
बिहार के इस चुनाव में कोई बड़ी लहर नहीं दिख रही। एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपनी-अपनी कोर वोट बैंक को सक्रिय किया। जहां नीतीश कुमार ने अपने काम और अनुभव को मुद्दा बनाया, वहीं तेजस्वी यादव ने रोजगार और युवाओं के भविष्य को केंद्र में रखा।

क्या दूसरे चरण में भी होगी बंपर वोटिंग?

अब सबकी नजरें दूसरे चरण के मतदान पर हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, दूसरे और आखिरी चरण में 20 जिलों के कुल 122 विधानसभा सीटों में 11 नवंबर को मतदान किया जाएगा।

दूसरे चरण में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास जिले में मतदान होगा।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि पहले चरण की तरह दूसरे में भी मतदान का प्रतिशत 65% से ऊपर जा सकता है। महिला और युवा मतदाताओं का उत्साह जारी रहा तो बिहार एक बार फिर रिकॉर्ड बना सकता है।

उच्च मतदान यह दर्शाता है कि जनता बदलाव भी चाहती है और लोकतंत्र में विश्वास भी रखती है। हालांकि, यह भी तय है कि मुकाबला इस बार बेहद क्लोज़ और रोमांचक रहने वाला है।

Tags:    

Similar News