Shafali Verma: टीम इंडिया में रिप्लेसमेंट बनकर आईं और छा गईं, कैसे शेफाली वर्मा ने खत्म किया 47 साल का सूखा?
Shafali Verma: शेफाली वर्मा को प्रतिका रावल के चोटिल होने पर बतौर रिप्लेसमेंट नॉकआउट दौर के लिए भारतीय महिला क्रिकेट टीम में शामिल किया गया था। वो सीधे सेमीफाइनल और फाइनल खेलीं और टीम को पहली बार चैंपियन बनाने में बड़ा रोल निभाया।
शेफाली वर्मा महिला विश्व कप में बतौर रिप्लेसमेंट आईं और भारत को चैंपियन बना दिया।
Shafali Verma: जब किस्मत अपना खेल खेलती है, तो नज़ारे कुछ ऐसे ही बनते हैं जैसे रविवार को नवी मुंबई में बने, जब शेफाली वर्मा ने भारत को पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनाने में सबसे अहम रोल निभाया। शेफाली इस वर्ल्ड कप की 15 सदस्यीय टीम में भी नहीं थीं। रिजर्व लिस्ट में भी नाम नहीं था।
एक वक्त ऐसा भी आया जब लगा कि शायद शेफाली का वक्त निकल गया है लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। कप्तान हरमनप्रीत कौर की मानें तो चोटिल प्रतिका रावल की जगह शेफाली को टीम में लाया गया, और वही बदलाव भारत के लिए इस टूर्नामेंट का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और 47 साल के लंबे इंतजार के बाद महिला क्रिकेट टीम चैंपियन बनीं।
शेफाली बतौर रिप्लेसमेंट टीम में आईं थीं
भारत के लिए वर्ल्ड कप 2025 फाइनल में शेफाली ने ओपनिंग करते हुए 87 रन ठोके, वो भी एक रन प्रति गेंद से तेज़। उनकी इस पारी ने भारत को मज़बूत शुरुआत दी। स्मृति मंधाना के साथ उन्होंने पहले विकेट के लिए 104 रन की साझेदारी की और टीम का स्कोर 298 तक पहुंचाया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
जब दक्षिण अफ्रीका की पारी में कप्तान लौरा वोल्वार्ट शतक बना चुकी थीं और भारत पर दबाव बढ़ रहा था, तभी हरमनप्रीत ने शेफाली को गेंद थमाई। शेफाली ने पहली ही स्पेल में दो विकेट झटके। उन्होंने पहले सून लूस को और फिर मरिज़ान कैप को। ये वो पल था जिसने पूरा मैच पलट दिया।
मेरी गट फीलिंग थी शेफाली काम करेगी: हरमनप्रीत
कप्तान हरमनप्रीत ने मैच के बाद कहा, 'जब शेफाली टीम में आई, तब हमने देखा कि वो घरेलू क्रिकेट में लगातार गेंदबाज़ी कर रही हैं। जब मैच में वोल्वार्ट और लूस की साझेदारी बढ़ रही थी, तो मुझे लगा क्यों न शेफाली को मौका दिया जाए। और वो फैसला गेम चेंजर साबित हुआ।'
डेस्टनी चाइल्ड शेफाली का नया अवतार
शेफाली के करियर में ये दिन किस्मत की किताब में पहले से लिखा लगता है। 15 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाली शेफाली अब मैच विनर बन चुकी। इस बार वो सिर्फ बेखौफ बैटर नहीं, बल्कि एक समझदार ऑलराउंडर के रूप में दिखीं, जो टीम को बल्ले और गेंद दोनों से जिता सकती हैं।
उनका 87 रन और दो विकेट वाला परफॉर्मेंस इतना शानदार रहा कि उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। मैच के बाद जब उन्होंने ट्रॉफी उठाई, तो चेहरे पर वही मुस्कान थी, मानो ये कप उनके लिए ही इंतज़ार कर रहा था।
शेफाली का टीम में आना तय नहीं था लेकिन उनका चमकना शायद पहले से लिखा हुआ था। जैसे हरमनप्रीत ने कहा, 'कभी-कभी किस्मत आपको वहीं ले आती है जहां आप असल में पहुंचना चाहते हो।'