WWC final: मेंस टीम ने ऐसा नहीं किया लेकिन महिलाओं ने...अश्विन ने किस बात का श्रेय हरमनप्रीत एंड कंपनी को दिया
Women world cup final: महिला वनडे वर्ल्ड कप जीत के बाद भारतीय महिला टीम ने मिताली राज, झूलन गोस्वामी और अंजुम चोपड़ा को ट्रॉफी समर्पित की। इस पर आर अश्विन ने कहा कि जो महिलाओं ने किया वो भारतीय मेंस टीम ने कभी नहीं किया।
आर अश्विन ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तारीफ की है।
Women world cup final: भारत की महिला क्रिकेट टीम की वर्ल्ड कप जीत ने पूरे देश को गर्व से भर दिया लेकिन इस जीत के बाद जो नज़ारा दिखा, उसने सबका दिल छू लिया। कप्तान हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम ने वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने सीनियर लीजेंड्स मिताली राज, झूलन गोस्वामी और अंजुम चोपड़ा को समर्पित की, ये ऐसा लम्हा था, जिसने हर फैन को भावुक कर दिया।
इस ऐतिहासिक पल पर भारत के पूर्व स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने टीम इंडिया की तारीफ में कुछ ऐसा कहा जो अब चर्चा में है। उन्होंने कहा, 'मैं महिला टीम को सलाम करता हूं। उन्होंने जो किया, वो मेंस टीम ने कभी नहीं किया।'
महिला टीम ने सीनियर्स को सम्मान दिया: अश्विन
अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, 'जब हरमनप्रीत ने 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वो यादगार पारी खेली थी, तब झूलन और मिताली उस वर्ल्ड कप का हिस्सा थीं। कल जब भारतीय टीम ने ट्रॉफी मिताली राज को दी, तो मेरे दिल में बेहद सम्मान पैदा हुआ। महिलाओं ने सच में अपने सीनियर्स को इज्जत दी, जो अबतक पुरुष टीम कभी नहीं कर सकी।'
अश्विन ने आगे कहा, 'हम अक्सर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते हैं कि पुराने खिलाड़ियों ने बहुत योगदान दिया लेकिन असली सम्मान तब होता है जब आप दिल से उन्हें अपनी जीत में शामिल करते हैं। महिलाओं ने वही किया।'
भावुक हुईं झूलन गोस्वामी
वर्ल्ड कप ट्रॉफी हाथ में लेते वक्त झूलन गोस्वामी की आंखों से आंसू रुक नहीं पाए। उन्होंने बताया, 'इस टीम ने मुझसे वादा किया था कि दीदी अगली बार आप नहीं होंगी लेकिन हम यह वर्ल्ड कप आपके लिए जीतेंगे। उन्होंने वो वादा निभाया।' झूलन ने आगे कहा कि जब हरमन और बाकी लड़कियों ने मुझे ट्रॉफी थमाई, तो मैं खुद को रोक नहीं पाई। ये सिर्फ जीत नहीं थी, ये 20 साल की मेहनत और सपने पूरे होने का पल था।
नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में मिली यह जीत न सिर्फ 2005 और 2017 की हार का बदला थी, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के नए युग की शुरुआत भी। इस टीम ने साबित कर दिया कि सम्मान शब्दों से नहीं, अपने कर्मों से दिखाया जाता है।