SIR डेडलाइन 7 दिन बढ़ी: अब 12 राज्यों में वोटर वेरिफिकेशन 11 दिसंबर तक, फाइनल लिस्ट 14 फरवरी को आएगी
चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की समय-सीमा 11 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी है। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट अब 16 दिसंबर को और अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को जारी होगी। विपक्ष ने BLOs की मौत और प्रक्रिया में जल्दबाज़ी पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी है।
चुनाव आयोग ने SIR Deadline 11 दिसंबर तक बढ़ाई, अब Final Voter List 14 फरवरी को जारी होगी।
चुनाव आयोग ने 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की डेडलाइन एक सप्ताह बढ़ा दी है। अब घर-घर जाकर मतदाता फॉर्म भरवाने का काम 4 दिसंबर की जगह 11 दिसंबर 2025 तक चलेगा। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 9 दिसंबर की बजाय 16 दिसंबर 2025 को जारी होगी, जबकि अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
पहले यह प्रक्रिया 4 दिसंबर 2025 तक पूरी होनी थी, लेकिन अब यह 11 दिसंबर 2025 तक चलेगी। यह वह अवधि है जब बूथ स्तर अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर मतदाता फॉर्म वितरित करते हैं, नए नाम जुड़वाते हैं, गलतियों का सुधार करते हैं और पुराने या गलत एंट्री हटाने की प्रक्रिया पूरी करते हैं।
SIR प्रक्रिया पर विपक्ष के गंभीर आरोप
SIR को लेकर विपक्ष, खासकर कांग्रेस, लगातार हमलावर है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि तेज़ी से किए जा रहे इस अभियान के चलते सिर्फ 20 दिनों में 26 BLO कर्मियों की मौत हुई है, जिसे उन्होंने “दिनदहाड़े मर्डर” जैसा बताया।
उनका कहना है कि कुछ BLOs को खास वर्ग के लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने का दबाव झेलना पड़ा। इससे प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
कांग्रेस का यह भी कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर संशोधन कार्य के लिए सिर्फ एक सप्ताह का एक्सटेंशन पर्याप्त नहीं है। पार्टी का आरोप है कि इतनी जल्दबाजी में किया गया रिवीजन मतदाता अधिकारों को प्रभावित कर सकता है।
आयोग का दावा: लगभग सभी फॉर्म लोगों तक पहुंच चुके
चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि 51 करोड़ मतदाताओं के लिए बनाए गए फॉर्म में से 99.53% घर-घर तक पहुंचा दिए गए हैं। इनमें से लगभग 79% फॉर्म का डिजिटलीकरण भी पूरा हो चुका है।
BLOs द्वारा घरों से एकत्र किए गए दस्तावेजों को ऑनलाइन सिस्टम में अपलोड कर दिया गया है। आयोग का कहना है कि यह गति बताती है कि टीम तेजी से काम कर रही है और संशोधन प्रक्रिया पूरी तरह नियंत्रित है।
किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हो रहा है रिवीजन
SIR कुल 12 क्षेत्रों में चल रहा है, इनमें अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्य प्रमुख हैं। 27 अक्टूबर को जब यह घोषणा हुई थी, तो तीन प्रदेशों में यह प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी।
सुप्रीम कोर्ट में भी SIR पर सुनवाई जारी
SIR प्रक्रिया की वैधता और समय-सीमा को लेकर मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल ने इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की हैं। इन याचिकाओं पर क्रमशः 2, 4 और 9 दिसंबर को सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा है कि अगर राज्य सरकारें ठोस आधार और प्रमाण पेश करती हैं तो वे SIR की समय-सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि SIR पहली बार हो रहा है, इसलिए केवल “नया होने” के आधार पर इसे गलत नहीं कहा जा सकता।