सुप्रीम कोर्ट: जिला न्यायाधीश की पात्रता संविधान पीठ तय करेगी, केरल HC ने रद्द की थी नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायाधीश नियुक्ति से जुड़े मामले में महत्वूपर्ण सुनवाई की। पात्रता और अनुभव संबंधी इस केस को पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ तय करेगी।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: राज्यपालों की शक्तियों पर लगी बड़ी रोक
District judge Eligibility : सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायधीशों की नियुक्ति में पात्रता संबंधी विवाद को पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा है। केरल हाईकोर्ट ने मामले में एक जिला न्यायधीश की नियुक्ति इसलिए रद्द कर दी थी कि नियुक्ति के समय अधिवक्ता नहीं, बल्कि न्यायिक मजिस्ट्रेट थे।
सवाल यह है कि क्या कोई न्यायिक अधिकारी, जिसने बार में सात वर्ष का अनुभव पूरा किया है, बार की सीधी भर्ती में जिला न्यायाधीश बनने की पात्रता रखता है? उसकी पात्रता किस समय देखी जानी चाहिए? आवेदन के समय, नियुक्ति के समय या दोनों वक्त।
मामला संविधान के अनुच्छेद 233(2) की व्याख्या से जुड़ा है। इस प्रावधान के अनुसार, कोई व्यक्ति जो केंद्र या राज्य की सेवा में नहीं है, और जिसने कम से कम सात वर्ष अधिवक्ता या वकील के रूप में कार्य किया है, वह जिला न्यायाधीश पद के लिए पात्र है।
विवाद कैसे शुरू हुआ
अपीलकर्ता रेजानिश केवी बार में 7 साल का अनुभव रखने वाले अधिवक्ता थे। उन्होंने जिला न्यायाधीश पद के लिए आवेदन किया। चयन समति ने 28 दिसंबर 2017 को उन्हें मुंसिफ-मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिया। बाद में जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 24 अगस्त 2019 को कार्यभार ग्रहण किया।
प्रतिवादी के. दीपा ने उनकी नियुक्ति को चुनौती दी है। कहा, नियुक्ति के समय वह अधिवक्ता नहीं, बल्कि न्यायिक सेवा में थे। केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने धीरज मोर बनाम दिल्ली उच्च न्यायालय फैसले का हवाला देते हुए नियुक्ति रद्द कर दी। खंडपीठ ने भी इसे बरकरार रखा, लेकिन कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर कई नियुक्तियों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट ले जाना उचित होगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, यह मामला सामान्य महत्व का है और जल्द ही संविधान पीठ में सूचीबद्ध किया जाएगा। संविधान पीठ तय करेगी कि जिला न्यायाधीश की सीधी भर्ती में पात्रता की तारीख किसे माना जाए। आवेदन की तारीख, नियुक्ति की तारीख या दोनों। इस फैसले से देशभर में न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा।