सद्भावना दिवस: राजीव गांधी ने रखी सश्क्त भारत की नींव, 81वीं जयंती पर PM मोदी ने किया याद
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती 20 अगस्त को पूरे देश में सद्भावना दिवस के रूप में मनाई जा रही है। जानें इस दिन का महत्व, इतिहास और कैसे मनाया जाता है।
By : Desk
Updated On 2025-08-20 12:11:00 IST
Rajiv Gandhi birth anniversary
सद्भावना दिवस का महत्व
सद्भावना दिवस, राजीव गांधी के उस विज़न को याद करने का अवसर है। उन्होंने जाति, धर्म और वर्ग की सीमाओं से परे एक एकजुट और प्रगतिशील भारत का सपना देखा था।
- राष्ट्रीय एकता: विविध समुदायों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा।
- शांति और सद्भाव: सामाजिक और धार्मिक सौहार्द की नींव मजबूत करना।
- युवा सशक्तिकरण: युवाओं को राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना।
- धर्मनिरपेक्षता: भारत की बहुलवादी और सहिष्णु परंपराओं को कायम रखना।
सद्भावना दिवस का इतिहास, राजीव की विरासत
- 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, राजीव गांधी महज़ 40 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। उन्हें तकनीकी दृष्टि से देश को आधुनिक बनाने, शिक्षा और संचार क्रांति की नींव रखने और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को सशक्त करने के लिए आज भी याद किया जाता है।
- राजीव गांधी ने कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया। इससे ही आज का डिजिटल भारत संभव हुआ। सद्भावना दिवस उनकी इसी दूरदर्शी सोच और शांति व प्रगति से बंधे राष्ट्र के सपने को सम्मानित करने के लिए स्थापित किया गया था।
कैसे मनाया जाता है सद्भावना दिवस
- प्रतिज्ञा समारोह: नेता, नागरिक और विद्यार्थी शांति व एकता बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।
- शैक्षिक कार्यक्रम: स्कूल-कॉलेजों में वाद-विवाद, निबंध प्रतियोगिताएँ और प्रश्नोत्तरी आयोजित की जाती हैं।
- सांस्कृतिक आयोजन: नाटक, गीत और कला प्रदर्शनों के जरिए सद्भावना का संदेश फैलाया जाता है।
- सामुदायिक अभियान: गैर-सरकारी संगठन और सामाजिक समूह सेवा कार्यों और जागरूकता अभियानों को प्रोत्साहित करते हैं।
राजीव गांधी को श्रद्धांजलि: प्रासंगिक संदेश
- आज समाज जब कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है, राजीव गांधी का सद्भावना और एकता का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उनका यह कथन 'राष्ट्रीय एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है' आज भी भारत की दिशा तय करने में प्रेरणा देता है।
- सद्भावना दिवस सिर्फ स्मृति दिवस नहीं, बल्कि यह एक आह्वान है। भारत के नागरिक शांति, प्रगति और समरसता के मूल्यों को आत्मसात करें तो सशक्त राष्ट्र बनेगा।
- राजीव गांधी भी भारत को आधुनिक, समावेशी और तकनीकी रूप से सशक्त देश बनाना चाहते थे। सद्भावना दिवस हमें याद दिलाता है कि विविधता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इसी से भारत का भविष्य मजबूत होगा।