Chandigarh: वकीलों के सीनियर पदों पर चयन में भाई-भतीजावाद? बार काउंसिल ने HC से मांगा ब्योरा
चंडीगढ़ के सेक्टर-37 में बार काउंसिल की बैठक हुई। इसमें शिकायतें मिली कि सीनियर वकीलों के नॉमिनेशन की प्रक्रिया ठीक से नहीं अपनाई गई। ऐसे में बार काउंसिल ने हाईकोर्ट से 7 बिंदुओं पर ब्योरा मांगा है।
बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट से वकीलों के सीनियर पदों पर चयन की प्रक्रिया की जानकारी मांगी।
पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल की गुरुवार को हुई बैठक में सीनियर वकीलों के नॉमिनेशन पर विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने 76 वकीलों को सीनियर एडवोकेट डेजिग्रेट किया था। चंडीगढ़ के सेक्टर-37 में गुरुवार को बार काउंसिल ऑफिस में बैठक हुई। बैठक में सीनियर वकीलों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट की ओर से अपनाई गई पद्धति पर चर्चा की गई। बैठक में शिकायतें मिली कि सूची को अंतिम रूप देने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। ऐसे में पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल ने इन शिकायतों की जांच करने का निर्णय लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने 20 अक्टूबर को 76 वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया। 2024 में 210 वकीलों ने वरिष्ठ पदों के लिए आवेदन किया था। एक समिति ने इन वकीलों से बातचीत करने के बाद 64 वकीलों को इस पद के लिए मंजूरी दे दी। इसके बाद 12 और आवेदकों पर मतदान करके उन्हें भी सीनियर पद के लिए मंजूरी दे दी।
पंजाब हरियाणा बार काउंसिल ने गुरुवार को इस मामले पर चर्चा के लिए सेक्टर-37 स्थित कार्यालय में बैठक बुलाई। बैठक में शिकायतें सामने आई कि इस प्रक्रिया में पक्षपात और भाई भतीजावाद किया गया। कई योग्य उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया, जबकि कई अयोग्य उम्मीदवारों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।
ऐसे में बार काउंसिल ने इन शिकायतों की जांच करने का निर्णय लिया है। बार काउंसिल ने इस मामले को 31 अक्टूबर के लिए टाल दिया है। साथ ही, हाईकोर्ट से सीनियर एडवोकेट डेजिग्रेशन प्रक्रिया से जुड़े इन 7 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है।
- वरिष्ठ अधिवक्ताओं के चयन एवं पदनाम के लिए अपनाई गई प्रक्रिया।
- क्या यह कार्य पुराने नियमों के अनुसार किया गया है या नए नियमों के अनुसार, तथा क्या यह इंदिरा जयसिंह मामले में दिए गए निर्णय के अनुरूप है।
- मूल्यांकन के लिए अपनाए गए संपूर्ण डेटा/मानदंड के साथ, व्यक्तिगत अभ्यर्थियों को दिए गए अंक, यदि कोई हों।
- क्या अभ्यर्थियों को दिए गए अंक अभ्यर्थियों के चयन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के समक्ष रखे जाने से पहले वेबसाइट पर अपलोड/प्रकाशित किए गए थे।
- इस बारे में सूचना कि क्या ऐसे किसी अभ्यर्थी को पदनाम के लिए विचार किया गया था, जिसने हाल के वर्षों में न तो कोई मामला दायर किया है और न ही किसी मामले में उपस्थित हुआ है, या जो पिछले दो वर्षों में शायद ही कभी उपस्थित हुआ हो।
- क्या वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदनाम के लिए अधिवक्ताओं से आवेदन आमंत्रित करने वाली अधिसूचना जिला और उप-मंडल बार एसोसिएशनों के बीच विधिवत प्रसारित की गई थी।
- क्या अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए कोई मानदंड अपनाया गया था?
- बार काउंसिल ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 6(डी) के अनुसार, वह अपने यहां नामांकित अधिवक्ताओं के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है।
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