Politics News: मुरलीधरन का बड़ा बयान; बोले-शशि थरूर हमारे साथ नहीं; पार्टी कार्यक्रम में नहीं बुलाएंगे

Politics News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने बड़ा बयान दिया। मुरलीधरन ने कहा-थरूर अब हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए उनके किसी कार्यक्रम में शामिल न होने का सवाल ही नहीं उठता।

Updated On 2025-07-21 12:24:00 IST

Shashi Tharoor Vs Muraleedharan

Politics News: कांग्रेस सांसद शशि थरूर को लेकर पार्टी में दरार बढ़ती जा रही है। रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने मीडिया से बातचीत में बड़ा बयान दिया। मुरलीधरन ने कहा-थरूर अब हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए उनके किसी कार्यक्रम में शामिल न होने का सवाल ही नहीं उठता। मुरलीधरन ने यह भी कहा-थरूर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अपना रुख नहीं बदलते, तब तक उन्हें तिरुवनंतपुरम में किसी भी कांग्रेस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा।

राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा क्या कार्रवाई होनी चाहिए
मुरलीधरन ने कहा-कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के मेंबर थरूर को अब हम में से एक नहीं माना जाता। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि कांग्रेस सांसद के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब के. मुरलीधरन ने शशि थरूर को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी हो। हाल ही में थरूर ने एक ऑनलाइन सर्वे को सोशल मीडिया पर साझा किया था। जिसमें उन्हें केरल में कांग्रेस गठबंधन का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री पद का चेहरा बताया था। इस पर मुरलीधरन ने तंज कसते हुए कहा था कि थरूर को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे किस राजनीतिक दल के सदस्य हैं।

नेता की पहली निष्ठा देश के प्रति होनी चाहिए 
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 19 जुलाई को एक बयान में कहा कि किसी भी नेता की पहली निष्ठा देश के प्रति होनी चाहिए, न कि केवल अपनी पार्टी के प्रति। उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दल सिर्फ देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं। अगर देश ही सुरक्षित नहीं रहेगा, तो फिर पार्टियों का अस्तित्व भी बेमानी होगा। थरूर ने यह भी जोर दिया कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो तो सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए।

इन बयानों से कांग्रेस में नाराजगी
थरूर ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की सराहना की थी और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार और सेना के रुख का समर्थन किया था। शशि थरूर ने 10 जुलाई को अपने एक लेख में इमरजेंसी को केवल भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में देखने की बजाय उससे सबक लेने पर ज़ोर दिया था। थरूर ने 1975 के नसबंदी अभियान को "मनमाना और अमानवीय" बताया।  उनके इन बयानों के बाद कांग्रेस के भीतर नाराजगी और असहमति देखने को मिली।

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