Parliament Winter Session: वंदे मातरम् पर लोकसभा में चर्चा शुरू, PM मोदी बोले- जब वंदे मातरम् के 100 साल पूरे हुए थे, तब देश आपातकाल के जाल में जकड़ा हुआ था
संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे पर चर्चा हो रही है। पीएम मोदी ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा- वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर बहस गर्व की बात है।
लोकसभा में शीतकालीन सत्र के छठे दिन वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हुई। पीएम मोदी ने बहस की शुरुआत करते हुए इसे गर्व और ऐतिहासिक क्षण बताया।
संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे पर चर्चा हो रही है। पीएम मोदी ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा- वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर बहस गर्व की बात है। जिसने हमें त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था। उस वंदे मातरम का स्मरण करना हम सभी का सौभाग्य है। हमारे लिए गर्व की बात है कि वंदे मातरम के 150 पूरे होने पर हम इस एतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं।
वंदे मातरम् पर चर्चा: देखिए लाइव
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जानकारी के अनुसार, लोकसभा में होने वाली इस बहस में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई सहित कुल आठ सदस्य अपनी बात रखेंगे। चर्चा का समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संबोधन से होगा। हाल ही में सरकार ने 7 नवंबर को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाई थी, जिसके बाद इसे संसद में शामिल करने का फैसला लिया गया।
इस बहस के बीच पीएम मोदी के हालिया बयान पर भी खूब चर्चा है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि 1937 में वंदे मातरम के टुकड़े किए गए, जिससे विभाजनकारी सोच को बढ़ावा मिला। उन्होंने सवाल उठाया कि राष्ट्र-निर्माण के इस महामंत्र के साथ अन्याय क्यों हुआ? उनके मुताबिक, वही सोच आज भी देश की एकता के लिए चुनौती बनी हुई है।
इसी बीच, बहस शुरू होने से पहले ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को राष्ट्रीय गीत से कोई नफरत नहीं है। उनकी आपत्ति केवल गीत के उन हिस्सों को लेकर है, जिनमें मूर्ति पूजा के भाव हैं। रशीदी का कहना है कि वंदे मातरम की शुरुआती दो पंक्तियों को गाने में किसी भी मुसलमान को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे केवल देश की सुंदरता और समृद्धि का गुणगान करती हैं।
वंदे मातरम आजादी की सबसे बड़ी प्रेरणा
यह गीत बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था और पहली बार 7 नवंबर 1875 को बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ। 1882 में ‘आनंदमठ’ उपन्यास का हिस्सा बना। बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे स्वरबद्ध किया, और यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा बन गया। 24 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया।
लोकसभा में 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने पर बहस के दौरान, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "आज सदन में वंदे मातरम पर बहस के दो कारण हैं। एक, पश्चिम बंगाल में चुनाव आ रहे हैं।
ऐसे में हमारे प्रधानमंत्री अपनी भूमिका स्थापित करना चाहते हैं और दूसरा, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी, देश के लिए कुर्बानी दी- यह सरकार उन पर नए आरोप लगाने का मौका चाहती है। ऐसा करके सरकार देश का ध्यान जनता से जुड़े जरूरी मुद्दों से हटाना चाहती है।"
प्रियंका ने कहा- “आप लोग (भाजपा) सिर्फ चुनाव के लिए हैं, हम देश के लिए हैं। हम चाहे कितने भी चुनाव हार जाएं, हम यहीं सदन में बैठकर आपसे और आपकी विचारधारा से लड़ते रहेंगे। हम अपने देश, उसके संविधान और उसके लोगों के लिए लड़ते रहेंगे। आप हमें रोक नहीं सकते…”
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा- “वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद में हुई विशेष चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इसके इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को बहुत विस्तार से देश की जनता के सामने रखा। उनका भाषण निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को न केवल जानकारी देगा बल्कि प्रेरणा भी देगा। वंदे मातरम् करोड़ों भारतीयों के लिए ऊर्जा का स्रोत है, तो कुछ लोगों के लिए यह एलर्जी का कारण बन जाता है। आज सदन में ऐसे कई लोग नजर नहीं आए… खास तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उपस्थित नहीं थे।”
लोकसभा में 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “वंदे मातरम ने पूरे देश को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम में जान फूंकी। लेकिन सत्ता पक्ष हर अच्छी चीज को सिर्फ अपना बताने की कोशिश करता है।
"वंदे मातरम सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं है, बल्कि मानने के लिए है जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में कहीं दिखाई नहीं दिए, वे भला वंदे मातरम के मायने कैसे समझेंगे? वे राष्ट्रवादी नहीं, सिर्फ ‘राष्ट्रविवादी’ लोग हैं।”
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का जवाब देते हुए कहा: “माननीय प्रधानमंत्री जी एक सवाल का जवाब दे दें, जब पूरा देश महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा लगा रहा था, स्वतंत्रता संग्राम लड़ रहा था, उस समय आपकी मातृ-संस्था RSS अंग्रेजों की सेना में भर्ती होने और ब्रिटिश सरकार का साथ देने के लिए क्यों अपील कर रही थी?”
दिल्ली | कांग्रेस सांसद और लोकसभा में LoP राहुल गांधी संसद भवन से रवाना हुए।
पीएम मोदी ने कहा कि बंगाल विभाजन के दौरान स्वदेशी आंदोलन पूरे देश में तेजी से फैला और उस समय वंदे मातरम् की गूंज हर ओर सुनाई देती थी। अंग्रेज अच्छी तरह समझ चुके थे कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय द्वारा लिखे गए इस गीत की शक्ति ने उनकी नींव हिला दी है। इसी प्रभाव के कारण अंग्रेज शासन को वंदे मातरम् गीत को गाने, छापने और यहां तक कि शब्द 'वंदे मातरम्' बोलने पर भी सख्त सजा देने जैसे कठोर प्रतिबंध लगाने पड़े।
लोकसभा में पीएम मोदी वंदे मातरम् पर अपना संबोधन दे रहे हैं, लेकिन इस दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी सीट पर मौजूद नहीं दिखे। प्रियंका गांधी भी सदन में नहीं पहुंचीं। जानकारी के अनुसार, वंदे मातरम् पर बहस के लिए तय शेड्यूल के मुताबिक कुल 10 घंटे की चर्चा में NDA सांसदों को 2 घंटे का समय मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम् की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि 1875 में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने इस गीत की रचना उस दौर में की थी जब 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज हुकूमत बौखलाई हुई थी और भारत पर तरह-तरह के अत्याचार कर रही थी।
PM मोदी ने कहा कि तब ब्रिटिश सत्ता राष्ट्रभक्ति के गीतों को घर-घर पहुंचने से रोकने की साजिश रच रही थी, लेकिन बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने इसका जवाब दृढ़ संकल्प के साथ दिया और उसी संघर्ष की आग से वंदे मातरम् का जन्म हुआ।
PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् ने 150 साल में कई ऐतिहासिक पड़ाव देखे हैं। जब इस गीत के 50 साल पूरे हुए, तब देश गुलामी में जकड़ा हुआ था और आजादी के लिए लड़ रहा था। वहीं जब 100 साल पूरे हुए, तब देश आपातकाल की बेड़ियों में कैद था और देशभक्तों को जेलों में डाल दिया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम् ने देश को स्वतंत्रता की ऊर्जा दी और अब इसके 150 वर्ष पूरा होना हमारे इतिहास के उस गौरवशाली अध्याय को फिर से स्थापित करने का अवसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब वंदे मातरम् के 100 साल पूरे हुए थे, तब देश आपातकाल के जाल में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था। उन्होंने कहा कि उस दौर में लोकतंत्र को दबा दिया गया था और आज वही लोग देशभक्ति पर सीख देने की कोशिश कर रहे हैं।