Moti Mahal Vs Daryaganj Restaurants: बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किसने किया? दिल्ली हाईकोर्ट देगा जवाब

Who invented Butter Chicken and Dal Makhani: मोती महल के मालिकों ने बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक टैगलाइन का उपयोग करने के बाद दरियागंज रेस्तरां के मालिकों पर मुकदमा दायर किया। मोती महल ने दावा किया कि दरियागंज रेस्तरां लोगों को गुमराह कर रहा है। वह यह दावा कर रहा है कि वह मोती महल से जुड़ा है। जिसकी पहली ब्रांच दरियागंज में खोली गई थी। 

Updated On 2024-01-20 12:16:00 IST
Delhi News

Who invented Butter Chicken and Dal Makhani: आपने बटर चिकन या दाल मखनी तो जरूर खाई होगी...। क्या कभी सोचा है कि इसका आविष्कार कहां हुआ? सवाल का जवाब ढूंढना आसान नहीं है। क्योंकि यह सवाल अब दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंच गया है। दिल्ली में मोती महल और दरियागंज रेस्तरां के बीच इसी बात को लेकर विवाद है कि बटर चिकन और दाल मखनी को सबसे पहले किसने खोजा। दोनों के अपने-अपने दावे हैं।

मामला अदालत के दरवाजे पर पहुंचा तो दिल्ली हाईकोर्ट बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कार को लेकर मोती महल और दरियागंज रेस्तरां के बीच विवाद पर फैसला सुनाने के लिए तैयार है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, मोती महल और दरियागंज रेस्तरां के बीच विवाद के बीच दिल्ली हाईकोर्ट आगामी दिनों में इस सवाल का जवाब दे सकता है।

दरियागंज के रेस्तरां पर ठोका मुकदमा
दरअसल, मोती महल के मालिकों ने बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक टैगलाइन का उपयोग करने के बाद दरियागंज रेस्तरां के मालिकों पर मुकदमा दायर किया। मोती महल ने दावा किया कि दरियागंज रेस्तरां लोगों को गुमराह कर रहा है। वह यह दावा कर रहा है कि वह मोती महल से जुड़ा है। जिसकी पहली ब्रांच दरियागंज में खोली गई थी। 

अदालत ने 30 दिनों में मांगा जवाब
जज संजीव नरूला ने 16 जनवरी को मामले की सुनवाई की। दरियागंज में रेस्तरां के मालिकों को समन भेजा गया। 30 दिनों के भीतर मुकदमे का लिखित जवाब देने का निर्देश दिया गया। अगली सुनवाई 29 मई को होगी। दोनों रेस्तरां दावा करते रहे हैं कि उन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया है।

जानिए क्या हैं दावे?
दरियागंज रेस्तरां का दावा है कि स्वर्गीय कुंदन लाल जग्गी ने बटर चिकन और दाल मखनी का अविष्कार किया था। जबकि मोती महल के मालिकों का दावा है कि उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंडल लाल गुजराल यह खाना बनाया था। गुजराल ने ही पहले तंदूरी चिकन, साथ ही बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था। गुजराल भारत विभाजन के बाद पेशावर से देश में लाए थे। 

मोती महल का दावा है कि गुजराल को अपने पके हुए चिकन के सूखने की चिंता थी। क्योंकि बिना बिके चिकन के बचे हुए हिस्से को रेफ्रिजरेटर में नहीं रखा जा सकता था। ऐसे में उन्होंने उन्हे फिर से हाइड्रेट करने में मदद करने के लिए एक सॉस बनाया। दाल मखनी का आविष्कार बटर चिकन के आविष्कार से जुड़ा हुआ है। गुजराल ने काली दाल के साथ वही नुस्खा लागू किया और लगभग उसी समय दाल मखनी को जन्म दिया। 

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