मौकापरस्ती: स्वामीनाथन की जिस रिपोर्ट को कांग्रेस ने 17 साल पहले दिखाया था ठेंगा, अब उस पर दे रही है गारंटी

Swaminathan Commission Congress Promise: कांग्रेस ने किसान आंदोलन शुरु होने के पहले दिन ही यह वादा किया कि अगर सत्ता में लौटती है तो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी। लेकिन, कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने इसी रिपोर्ट काे लौटा दिया था। इसे लागू करने से बाजार पर बुरा असर पड़ने की बात कही थी।

Updated On 2024-02-14 18:11:00 IST
जिस स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश को आज कांग्रेस लागू करने की बात कह रही है, उसे 2007 में लौटा दिया था।

देश के किसान बीते दो दिनों से सड़कों पर उतरे हुए हैं। दिल्ली में जाकर प्रदर्शन करने की मांग को लेकर अड़ हैं।  पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर समेत कई बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान पहुुंच गए हैं। किसान अपनी कई मांगों को लेकर आंदोलन पर उतारू हैं। इन मांगों में एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें को लागू करने की मांग सबसे ऊपर है। किसान आंदोलन के रफ्तार पकड़ते ही कांग्रेस ने कहा है कि सत्ता में लौटने पर इसे लागू किया जाएगा। लेकिन साल 2007 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने आयोग की सिफारिशों को लौटा दिया था। 

सिफारिशें ना लागू करने पर क्या दी गई थी दलील?
स्वामीनाथ समिति के राष्ट्रीय किसान आयोग ने साल 2004-06 के बीच सरकार को कई रिपोर्ट सौंपी थी। इनमें मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) को लेकर सिफारिशें की गइ थी।  यूपीए सरकार ने इन सिफारिशों को लागू करने से इनकार कर दिया था। दलील दी कि ऐसा करने पर देश के बाजार पर निगेटिव असर पड़ेगा। देश की इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही काउंटर प्रोडक्टिविटी प्रभावित होने की बात कही थी। साल 2010 में यूपीए सरकार ने लिखित में यह बताया था कि सिफारिशों को लागू करने पर कैसे-कैसे नुकसान होंगे। वहीं, मंगलवार को कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने पर इन सिफारिशों को लागू करने का वादा किया। 

स्वामीनाथ आयोग की सिफारिशें क्या हैं?
डॉ. एमएस स्वामीनाथ की अगुवाई वाले राष्ट्रीय किसान आयोग(एनसीएफ) ने एमएसपी से जुड़ी सिफारिशें की थी। इसमें कहा गया था कि एमएसपी की ग्रॉस वेट लागत कम से कम 50 प्रतिश से ज्यादा किए जाने चाहिए, जिससे छोटे किसानों को भी अपनी फसल की सही कीमत मिल सके। साथ ही एमएसएपी का दायरा सिफ कुछ फसलों तक सीमित नहीं रखने का भी सुझाव दिया गया था। किसानों को गुणवतापूर्ण बीज कम कीमत पर उपलब्ध करवाने की सलाह दी गई थी। 

2007 में आई राष्ट्रीय कृषि नीति में एक भी सिफारिश नहीं मानी गई
यूपीए सरकार 2007 में किसानों के लिए एक राष्ट्रीय नीति लेकर आई थी। इस नीति में स्वामीनाथन आयोग की एक भी सिफारिश को शामिल नहीं किया गया था। यही वजह है कि आंदोलन करने वाले किसानों ने भी साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस भी देश के किसानों की समस्या के लिए जिम्मेदार है। किसानों के हितों के खिलाफ जो कानून बने वह कांग्रेस के शासनकाल में ही बने। किसान नेता श्रवण सिंह पंढेर ने मंगलवार को कांग्रेस की ओर से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वादा किए जाने के बाद यह बात कही थी। 

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