75वें गणतंत्र दिवस पर संबोधन: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- राम मंदिर का बनना न्यायपालिका में भरोसे का प्रतीक, विकसित देश बनाना हम सबका दायित्व

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने गुरुवार को देश को संबोधित किया। अपने इस संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि मैं पचहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। हमारे गणतंत्र का 75 वां वर्ष, कई अर्थों में देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है।

Updated On 2024-01-25 20:42:00 IST
President Draupadi Murmu Republic Day Address 2024

President Draupadi Murmu Republic Day Address 2024: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। विकसित भारत बनाना हम सबका दायित्व है। सभी देशवासी अमृतकाल में लोकतंत्र का उत्सव मनाएं। प्रभु श्रीराम मंदिर का उद्घाटन समारोह पूरी दुनिया ने देखा।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की सराहना की
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण होने की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसे भारत की अपनी सभ्यता और विरासत की दोबारा खोज के प्रतीक के रूप में देखा जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि इस मंदिर को तैयार करने में उचित न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। यह देश की न्यायपालिका में लोगों की आस्था और भरोसे का प्रमाण है। 

75 वां गणतंत्र देश की यात्रा में ऐतिहासिक पड़ाव
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। हमारे गणतंत्र का 75 वां वर्ष, कई अर्थों में देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है। हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है।

देश आजादी की शताब्दी की ओर बढ़ रहा
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश आजादी की शताब्दी की ओर बढ़ रहा है। राष्ट्र अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। यह एक युग में बदलाव आने का कालखंड है। गणतंत्र दिवस हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को याद करने का एक अहम अवसर है। जब हम अपने राष्ट्र के किसी भी बुनियादी सिद्धांत के बारे में सोचते हैं तो स्वभाविक रूप से दूसरे सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है। 

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