World Biggest Election Loser: 238 चुनाव हारे...इलेक्शन किंग पड़ा नाम, बोले- अगर लोकसभा चुनाव जीता तो पड़ जाएगा हार्ट अटैक

World Biggest Election Loser K Padmarajan: के पद्मराजन इस समय 65 साल के हैं। वे टायर मरम्मत की दुकान के मालिक हैं। उन्होंन 1988 में तमिलनाडु के अपने गृहनगर मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया था। तब से अब तक 238 बार असफल होने के बावजूद पद्मराजन बेफिक्र हैं।

Updated On 2024-03-28 13:13:00 IST
World Biggest Election Loser K Padmarajan

World Biggest Election Loser K Padmarajan: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में वोटिंग होगी। 4 जून को नतीजे आएंगे। इस बीच एक ऐसा व्यक्ति तमिलनाडु में चुनाव लड़ने जा रहा है, जो अपनी जीत नहीं बल्कि हार से पूरी दुनिया में मशहूर है। उसे इलेक्शन किंग के साथ वर्ल्ड बिगेस्ट इलेक्शन लूजर की उपाधि मिली हुई है। नाम के पद्मराजन है। पद्मराजन देश में होने वाले सभी चुनाव लड़ चुके हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव, राहुल गांधी जैसे नेताओं के सामने उतर चुके हैं। 

अब तक 238 चुनाव हारे पद्मराजन
के पद्मराजन इस समय 65 साल के हैं। वे टायर मरम्मत की दुकान के मालिक हैं। उन्होंन 1988 में तमिलनाडु के अपने गृहनगर मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया था।
तब से अब तक 238 बार असफल होने के बावजूद पद्मराजन बेफिक्र हैं। वे एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

पहली बार लड़ा चुनाव तो लोगों ने मजाक उड़ाया
कंधे पर चमकदार शॉल और ताव देने वाली मूंछों वाले पद्मराजन कहते हैं कि  जब उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ने के लिए नामांकन कराया था तो लोग हंसे। लेकिन उन्होंने कहा कि वह यह साबित करना चाहते थे कि एक सामान्य आदमी भी चुनाव लड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सभी उम्मीदवार चुनाव में जीत चाहते हैं। लेकिन मुझे इसकी तमन्ना नहीं है। जब हार होती है तो मुझे खुशी होती है। 

World Biggest Election Loser K Padmarajan

धर्मपुरी जिले में लड़ रहे चुनाव
के पद्मराजन तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले की एक संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इलेक्शन किंग के नाम से मशहूर पद्मराजन ने राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनावों तक देश भर में चुनाव लड़ा है। वह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह और राहुल गांधी से चुनाव हार चुके हैं। 

मुझे फर्क नहीं पड़ता
पद्मराजन ने कहा कि सामने उम्मीदवार कौन है? मुझे परवाह नहीं है। मुझे चिंता अपनी हार का सिलसिला आगे बढ़ाने की है। यह इतना आसान भी नहीं है। उनका अनुमान है कि उन्होंने नामांकन के नाम पर तीन दशकों से अधिक समय में एक करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए हैं। अक्सर उनकी जमानत जब्त होती है। इसलिए सिक्योरिटी धनराशि भी वापस नहीं होती है। 

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स नाम कराया
पद्मराजन ने भले ही कोई चुनाव न जीता हो, लेकिन उनकी एक बड़ी जीत लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स नाम कराने की रही है। उन्होंने भारत के सबसे असफल उम्मीदवार के रूप में जगह बनाई है। पद्मराजन ने अपने चुनावी करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2011 में किया था। वह मेट्टूर में विधानसभा चुनाव के लिए खड़े हुए थे। उन्हें 6,273 वोट मिले। जबकि विजेता को 75,000 से अधिक वोट मिले। उन्होंने कहा कि मुझे एक वोट की भी उम्मीद नहीं थी। लेकिन इससे पता चला कि लोग मुझे स्वीकार कर रहे हैं।

अपनी टायर मरम्मत की दुकान के अलावा पद्मराजन होम्योपैथिक इलाज भी करते हैं। साथ ही स्थानीय मीडिया के लिए एक संपादक के रूप में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि लोग नामांकन करने में झिझकते हैं। इसलिए मैं जागरूकता पैदा करने के लिए एक रोल मॉडल बनना चाहता हूं।

पद्मराजन अपनी हर एक नामांकन पत्रों और पहचान पत्रों का रिकॉर्ड भी रखते हैं। सभी को सुरक्षित रखने के लिए लेमिनेटेड करवाया है। चुनावों में चुनाव चिन्ह के रूप में मिले निशान भी मौजूद हैं। जैसे मछली, अंगूठी, टोपी, टेलीफोन, और इस बार टायर।

आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा चुनाव
एक समय हंसी का पात्र बने पद्मराजन को कई मौकों पर भाषण देने के लिए बुलाया जाता है। वे छात्रों को यह समझाते हैं कि हार से कैसे उबरा जाए। उन्होंने कहा कि मैं जीतने के बारे में नहीं सोचता। असफलता सर्वोत्तम है। अगर हम उस मानसिकता में हैं, तो हमें तनाव नहीं होता है। पद्मराजन ने कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करे। यह उनका अधिकार है। उन्हें अपना वोट डालना चाहिए। पद्मराजन ने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक चुनाव लड़ते रहेंगे। लेकिन अगर वह जीत गए तो उन्हें आश्चर्य होगा। हंसते हुए कहा कि यदि जीत गया तो मुझे दिल का दौरा पड़ जाएगा। 

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