ISRO चीफ सोमनाथ ने कहा: चंद्रमा पर जब तक कोई भारतीय नहीं उतरता, लूनर मिशन भेजना जारी रखेंगे; बताया- कब लॉन्च होगा गगनयान मिशन

Chandrayaan Lunar Mission: इसरो ने पिछले अगस्त में चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर और रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश है। 

Updated On 2024-04-22 17:08:00 IST
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

Chandrayaan Lunar Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख एस. सोमनाथ ने भारत के चंद्रयान मिशन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि जब तक 'चंद्रमा पर कोई भारतीय नहीं उतरता' हमारा लूनर मिशन भेजना जारी रहेगा। मतलब साफ है कि भारत ने पिछले साल चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था। जिसके लैंडर और रोबर की चंद्रमा के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर सफल लैंडिंग कराई गई थी। इसी प्रकार चांद पर रिसर्च की श्रृंखला जारी रहेगी और इसरो भविष्य में अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर लैंड करा सकता है। बता दें कि इसरो ने अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी। भारत ऐसा करने वाला पहला देश है। 

ISRO प्रमुख चंद्रयान मिशन पर क्या बोले?
इसरो चीफ सोमनाथ ने चंद्रयान मिशन को लेकर यह बात एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। वे यहां बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। उन्होंने कहा- चंद्रयान 3 ने शानदार प्रदर्शन किया है। उसके द्वारा जुटाए डेटा साइंटिफिक पब्लिकेशन अभी शुरू हुआ है। अब हम चंद्रयान सीरीज को तब तक जारी रखना चाहते हैं जब तक कि कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर नहीं उतर जाता। इसके लिए हमें वहां जाने और लौटने जैसी कई टेक्नोलॉजी पर पकड़ बनानी होगी। अगले मिशन में इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।

गगनयान को लेकर सोमनाथ ने क्या कहा?

  • इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि हम 2024 में मानव रहित गगनयान मिशन, टेस्ट व्हीकल फ्लाइट मिशन और एक एयरड्रॉप टेस्ट करेंगे। एयरड्रॉप टेस्ट 24 अप्रैल को होगा। उसके बाद अगले साल 2 और मानव रहित मिशन होंगे। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल के अंत तक मानव मिशन लॉन्च करेंगे।
  • बता दें कि इसरो के गगनयान प्रोजेक्ट के तहत 3 दिन के मिशन के लिए 3 सदस्यीय दल को पृथ्वी की कक्षा में 400 किमी दूर भेजा जाएगा। फिर समुद्री सतह पर गगनयान की सुरक्षित लैंडिंग कराई जाएगी। इस प्रोजेक्ट में इंसान को अर्थ ऑर्बिट में भेजने और वापस लाने के लिए अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन की रूपरेखा तय की गई है।

कार्बन-कार्बन नोजल के बारे में दी जानकारी
सोमनाथ ने कहा कि इसरो का लेटेस्ट कार्बन-कार्बन (सी-सी) नोजल हल्का है और यह पेलोड कैपेसिटी में सुधार करेगा। इसे पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (PSLV) में जोड़ा जाएगा। 16 अप्रैल को इसरो ने बताया था कि उसने रॉकेट इंजन के लिए हल्के सी-सी नोजल के विकास के साथ रॉकेट इंजन टेक्नोलॉजी में बड़ी कामयाबी हासिल की है, जिससे पेलोड कैपेसिटी में बढ़ोतरी होगी। यह नवाचार विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने किया है। इसमें थ्रस्ट लेवल, स्पेशल वेलोसिटी और थ्रस्ट-टू-वेट रेश्यो शामिल हैं।

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