Independence Day Facts: पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह में क्यों नहीं पहुंचे बापू, क्या है आजादी का जापान कनेक्शन; जानें 5 रोचक तथ्य

भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस के ज्योतिषीय समय, समारोह में महात्मा गांधी की अनुपस्थिति और 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया। जानिए ऐसे ही रोचक तथ्य।

Updated On 2024-08-15 07:27:00 IST
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ देश के पहले प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नेहरू और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल। -फाइल

Independence Day Facts: देशभर में गुरुवार (15 अगस्त) को 78वां स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में यह दिन काफी अहम है। इस मौके पर देशवासी स्वतंत्रता सेनानियों, उनके संघर्ष और भारत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने के उनके आंदोलनों और अमूल्य बलिदान को स्मरण करते हैं। ब्रिटिश हुकूमत ने भारत पर 200 साल से अधिक समय तक शासन किया। लंबे संघर्ष के बाद भारत 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ था। इस राष्ट्रीय दिवस पर हर साल 15 अगस्त को देशभर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े 5 अहम FACTS 

1) पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह में गांधीजी की अनुपस्थिति

महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है और जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया, पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल नहीं हो सके। वे उस समय नई दिल्ली में नहीं थे, बल्कि कोलकाता (तब का कलकत्ता) में थे, जहां वे विभाजन से उत्पन्न सांप्रदायिक हिंसा को शांत करने की कोशिश कर रहे थे। बताया जाता है कि वे उस समय कोलकाता में दंगों के बीच उपवास पर थे।

2) भारतीय राष्ट्रध्वज (तिरंगा) का क्या है महत्व?
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था, जो कि आजादी मिलने से कुछ दिन पहले की बात है। तिरंगे का ऊपरी केसरिया रंग देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच का सफेद रंग शांति और सत्य को दर्शाता है, जिसमें धर्म चक्र स्थित है। नीचे का हरा रंग भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता को दर्शाता है। चक्र, जो अशोक के सारनाथ स्थित सिंह स्तंभ से लिया गया है, जीवन में गति और स्थिरता में मृत्यु का प्रतीक है।

3) आजादी के लिए 15 अगस्त का चयन क्यों?
भारत के आखिरी वायसराय और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता के लिए चुना था। ब्रिटिश संसद ने उन्हें जून 1948 तक भारत को स्वतंत्रता देने की शक्ति दी थी, लेकिन उन्होंने रक्तपात और दंगों से बचने के लिए इसे 15 अगस्त 1947 को पहले कर दिया। कहा जाता है कि उन्होंने यह तिथि इसलिए चुनी क्योंकि यह जापान के मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ के साथ मेल खाती थी।

4) भारत को शुभ मुहूर्त में मिली स्वतंत्रता
भारत की स्वतंत्रता का समय ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना गया था। उज्जैन के हर्देओजी और सूर्यनारायण व्यास ने भारत के पहले राष्ट्रपति बनने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सूचित किया कि 15 अगस्त 1947 का दिन ज्योतिषीय रूप से अशुभ है। जब यह स्पष्ट हुआ कि अंग्रेज केवल उस दिन का कोई भी समय चुनने की अनुमति देंगे, हर्देओजी ने आधी रात का समय चुना। उस समय चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में था, जिसे सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है, और वृषभ लग्न उदय हो रहा था, जो एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र की नींव का प्रतीक है।

5) 15 अगस्त को इन देशों का भी स्वतंत्रता दिवस
भारत के अलावा दुनिया के कुछ अन्य देश भी 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इनमें उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, बहरीन, कांगो गणराज्य और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं।

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