Election Commission Action: लोकसभा चुनाव से पहले EC का बड़ा एक्शन, बंगाल के DGP और यूपी-गुजरात समेत 6 राज्यों के गृह सचिवों को हटाया

Election Commission Action: चुनाव आयोग ने छह राज्यों- गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गृह सचिवों को भी हटाने के आदेश जारी किए हैं। मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव को भी हटा दिया गया है।

Updated On 2024-03-18 14:47:00 IST
Election Commission

Election Commission Action: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सर्वशक्तिमान हो चुका चुनाव आयोग अब एक्शन के मूड में आ गया है। सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया है। डीजीपी राजीव कुमार संदेशाखाली प्रकरण को भी सुर्खियों में रहे हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें सक्रिय ड्यूटी से हटा दिया गया था। 

चुनाव आयोग ने छह राज्यों- गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गृह सचिवों को भी हटाने के आदेश जारी किए हैं। मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव को भी हटा दिया गया है।

आयोग ने सभी राज्यों को दिए ये निर्देश
आयोग ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे चुनाव संबंधी कार्यों से जुड़े उन अधिकारियों का तबादला करें, जिनका कार्यकाल तीन साल पूरा हो चुका है या उनकी तैनाती गृह जिलों में है। चुनाव आयोग ने कड़ा संदेश दिया है कि 2024 का लोकसभा चुनाव निष्पक्ष तरीके से होगा। किसी भी ढिलाई की गुंजाइश नहीं रहेगी। 

बीएमसी के नगर आयुक्त भी नपे
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल के साथ कुछ नगर आयुक्तों और कुछ अतिरिक्त/उप नगर आयुक्तों को भी हटा दिया है। आयोग ने मुख्य सचिव को नाराजगी जताते हुए बीएमसी और अतिरिक्त/उपायुक्तों को आज शाम 6 बजे तक रिपोर्ट करने के निर्देश के साथ ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। मुख्य सचिव को महाराष्ट्र में समान रूप से पदस्थापित सभी नगर निगम आयुक्तों और अन्य निगमों के अतिरिक्त/उप नगर आयुक्तों को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया।

अफसरों के पास थे दोहरे प्रभार
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के साथ बैठक हुई। सात राज्यों में जिन अधिकारियों को हटाया गया है, उनके पास संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री के कार्यालय में दोहरे प्रभार थे। आयोग का मानना है कि ये अधिकारी संभावित रूप से चुनावी प्रक्रिया के दौरान कानून व्यवस्था, बलों की तैनाती समेत आवश्यक निष्पक्षता और तटस्थता से समझौता कर सकते थे। 

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