BRICS Summit 2024: एस जयशंकर की UN सिक्योरिटी कांउसिल में सुधार की मांग,कहा- भारत को मिले स्थाई सीट

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को ब्रिक्स समिट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की जोरदार वकालत की। जानें क्या कहा।

Updated On 2024-10-24 15:24:00 IST
BRICS Summit 2024 S Jaishankar

BRICS Summit 2024 S Jaishankar: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार(24 अक्टूबर) को रूस के कजान में ब्रिक्स प्लस की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था को और अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए स्थापित संस्थाओं में सुधार आवश्यक है। रूस के कज़ान में आयोजित 16वें ब्रिक्स सम्मेलन में बोलते हुए, जयशंकर ने कहा, "ब्रिक्स इस बात का संकेत है कि पुरानी व्यवस्था में गहरा बदलाव आ रहा है। इसके साथ ही, कई पुरानी असमानताएं अभी भी बनी हुई हैं और नई चुनौतियों का रूप ले रही हैं।"

वैश्विक असमानताओं पर जताई चिंता
जयशंकर ने अपने भाषण में यह भी कहा कि विकास के संसाधनों और आधुनिक तकनीकों तक पहुंच में असमानता बनी हुई है। विदेश मंत्री ने कहा, 'हम यह देख रहे हैं कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रूप से वितरित हुए हैं। इसके अलावा, कोविड महामारी और कई देशों के बीच चल रहे संघर्षों ने ग्लोबल साउथ के लिए स्वास्थ्य, खाद्य और ईंधन सुरक्षा की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।'

इंडिपेंडेंट नेचर वाले प्लेटफॉर्म्स मजबूत हों
विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि दुनिया सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में बहुत पीछे रह सकती है। उन्होंने कहा, "न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बनाई जा सकती है? सबसे पहले, इंडिपेंडेंट नेचर वाले प्लेटफॉर्म्स को मजबूत करने और उनका विस्तार करने की जरूरत है। ऐसा करने से अलग अलग क्षेत्रों में ज्यादा विकल्प मौजूद होंगे जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स इस दिशा में ग्लोबल साउथ के लिए अहम भूमिका निभा सकता है।"

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर जोर
जयशंकर ने कहा कि स्थापित संस्थाओं और तंत्रों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में सुधार की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भी मौजूदा समय के हिसाब से बदलाव किए जाने चाहिए।  इसके साथ ही एस जयशंकर ने कहा कि मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक की प्रक्रियाओं भी पुरानी और अप्रभावी हो चुकी हैं और इनमें भी बदलाव की जरूरत है। 

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