Allahabad High Court: 'ऐसा लग रहा जैसे कलयुग आ चुका है' बुजुर्ग दंपती के विवाद पर हाईकोर्ट ने क्यों कहा ऐसा, जानें

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वृद्ध दंपत्ति के गुजारा भत्ता विवाद पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, 'कलयुग आ चुका है'। कोर्ट ने दंपत्ति को सलाह दी कि वे आपसी सहमति से मामला सुलझाएं।

Updated On 2024-09-25 10:44:00 IST
Allahabad High Court Alimony Case

Allahabad High Court Alimony Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को बुजुर्ग दंपती के गुजारा भत्ता मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह देखकर ऐसा लगता है कि 'कलयुग' आ चुका है। यह कड़ा बयान कोर्ट ने तब दिया जब उसने पाया कि 75 से 80 साल की उम्र के इस दंपती के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चल रही है। (High Court Alimony Case) कोर्ट ने उम्मीद जताई कि अगली सुनवाई तक दंपती आपसी सहमति से इस मुद्दे को सुलझा लेंगे। 

पति-पत्नी के बीच कोर्ट में जारी कानूनी लड़ाई 
यह मामला तब सामने आया जब अलीगढ़ निवासी मुनेश कुमार गुप्ता ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें उनकी पत्नी के पक्ष में गुजारा भत्ता देने का फैसला किया गया था। जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस उम्र में इस तरह का कानूनी विवाद चिंता का विषय है। उन्होंने दंपत्ति को सलाह भी दी कि वे इस मुद्दे को आपसी समझौते से सुलझाने की कोशिश करें। 

फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति की याचिका
गुप्ता की पत्नी ने फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता की मांग की थी, जिसके बाद कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। (Family Court Alimony Order) इसके बाद पति ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पत्नी को नोटिस जारी किया और उम्मीद जताई कि वे अगली सुनवाई से पहले किसी समाधान पर पहुंच सकेंगे। 

बुजुर्ग दंपत्ति के बीच समझौते की उम्मीद
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि इस उम्र में पति-पत्नी के बीच ऐसा कानूनी विवाद न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि समाज में एक अलग संदेश भी देता है। कोर्ट ने इसे 'कलयुग' का संकेत बताया और कहा कि यह समय वृद्धावस्था में शांति और समझौते का होना चाहिए, न कि संघर्ष का। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के माध्यम से इस मामले को सुलझाने की सलाह दी। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि यह कानूनी लड़ाई समाप्त होगी और दंपत्ति किसी आपसी समझौते पर पहुंचेंगे।कोर्ट ने यह भी कहा कि कानूनी लड़ाई का यह सिलसिला आगे नहीं बढ़ना चाहिए, विशेषकर ऐसी उम्र में। 

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