लद्दाख सियाचिन ग्लेशियर हादसा: हिमस्खलन में तीन जवान शहीद; बचाव कार्य जारी
लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में भीषण हिमस्खलन से भारतीय सेना का शिविर प्रभावित, तीन जवान शहीद हुए। बचाव अभियान जारी, कई जवान फंसे होने की आशंका।
लद्दाख सियाचिन ग्लेशियर हादसा: हिमस्खलन में तीन जवान शहीद
लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में रविवार, 7 सितंबर 2025 को एक दुखद हादसा हुआ, जब भारतीय सेना का एक शिविर भीषण हिमस्खलन की चपेट में आ गया। इस घटना में तीन जवानों के शव बरामद किए गए हैं, जबकि अन्य जवानों के बर्फ में फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।
सेना ने तत्काल बचाव अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें लेह और उधमपुर से विशेषज्ञ हिमस्खलन बचाव टीमें (ART) और भारतीय वायुसेना के चीता व Mi-17 हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
सियाचिन, दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र, कराकोरम पर्वत श्रृंखला में करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तापमान -60 डिग्री तक गिर जाता है, और हिमस्खलन सर्दियों में आम हैं।
इस हादसे में शहीद हुए जवान महार रेजिमेंट के थे और गुजरात, उत्तर प्रदेश व झारखंड के रहने वाले थे। सेना के सूत्रों के अनुसार, हिमस्खलन ने बेस कैंप के पास गश्त कर रहे जवानों को अपनी चपेट में लिया। एक कैप्टन को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन पांच अन्य जवान अभी भी बर्फ में फंसे हो सकते हैं।
1984 के ऑपरेशन मेघदूत के बाद से सियाचिन में 1,000 से अधिक जवान मौसम की मार और हिमस्खलन जैसी घटनाओं में शहीद हो चुके हैं। यह क्षेत्र भारत-पाकिस्तान और चीन की सीमा के त्रिकोण पर होने के कारण सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सेना के बुनियादी ढांचे में सुधार के बावजूद, प्रकृति की चुनौतियां जवानों के लिए खतरा बनी हुई हैं। देशभर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है, और बचाव कार्यों पर सभी की नजर है। अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।