Jammu Terror Alert: घाटी में 35-40 आतंकी सक्रिय, चिल्लई कलां में सेना का बड़ा एक्शन; सर्दी में भी आतंकियों पर शिकंजा
जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में चिल्लई कलां के दौरान भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ अभूतपूर्व अभियान तेज किया है। बर्फीले इलाकों में ड्रोन, थर्मल कैमरे और संयुक्त ऑपरेशनों से आतंकियों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में चिल्लई कलां के दौरान भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ अभूतपूर्व अभियान तेज किया है।
Jammu Terror Alert: जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में इस सर्दी आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जहां पहले कड़ाके की ठंड और बर्फबारी का दौर आतंकियों के लिए राहत और छिपने का मौका माना जाता था, वहीं इस बार भारतीय सेना ने मौसम की चुनौतियों को मात देते हुए अभियान और तेज कर दिए हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र में इस समय करीब 30 से 35 पाकिस्तानी आतंकवादी सक्रिय बताए जा रहे हैं, जिन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
चिल्लई कलां में बदली रणनीति
परंपरागत रूप से चिल्लई कलां (21 दिसंबर से 31 जनवरी) का 40 दिनों का कठोर सर्दी काल आतंकियों के लिए पुनर्संगठन का समय माना जाता था। इस दौरान वे दुर्गम इलाकों में छिपकर अपनी रणनीति दोबारा तैयार करते थे। लेकिन इस बार सेना ने इस पैटर्न को तोड़ दिया है। चिल्लई कलां शुरू होते ही बर्फीले और ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशनों का दायरा बढ़ा दिया गया, ताकि आतंकियों को सांस लेने तक का मौका न मिले।
ऊंचाई वाले इलाकों में खिसके आतंकी
लगातार दबाव के चलते आतंकी अब किश्तवाड़ और डोडा के ऊंचाई वाले एवं मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों में सिमट गए हैं। ये इलाके बेहद दुर्गम हैं और यहां आबादी न के बराबर है। आतंकियों की कोशिश सर्दी में पकड़े जाने से बचने और सीमित संसाधनों के साथ दोबारा संगठित होने की है, लेकिन सुरक्षा बलों की सक्रियता ने उनकी इस रणनीति को भी कमजोर कर दिया है।
विंटर बेस और अस्थायी चौकियों की तैनाती
ठंड और भारी बर्फबारी के बावजूद सेना ने फॉरवर्ड विंटर बेस और अस्थायी निगरानी चौकियां स्थापित की हैं। इनका उद्देश्य साफ किए गए इलाकों पर दोबारा कब्जा रोकना और आतंकियों की गतिविधियों पर 24x7 नजर बनाए रखना है। गश्ती टीमें पहाड़ियों, जंगलों और दूरदराज की घाटियों में नियमित तलाशी अभियान चला रही हैं।
संयुक्त अभियान और इंटेलिजेंस समन्वय
ये ऑपरेशन केवल सेना तक सीमित नहीं हैं। भारतीय सेना के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप, फॉरेस्ट गार्ड्स और विलेज डिफेंस गार्ड्स मिलकर संयुक्त कार्रवाई कर रहे हैं। इंटेलिजेंस इनपुट्स का साझा विश्लेषण कर त्वरित और लक्षित ऑपरेशन सुनिश्चित किए जा रहे हैं।
स्थानीय समर्थन में गिरावट
निचले इलाकों में सख्त निगरानी और स्थानीय सहयोग घटने से आतंकी समूह अलग-थलग पड़ गए हैं। वे ग्रामीणों से जबरन भोजन और आश्रय लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसी ज्यादातर कोशिशें विफल रही हैं। इससे उनकी सप्लाई चेन कमजोर हो रही है और उनकी गतिविधियां सीमित होती जा रही हैं।
आधुनिक तकनीक से कड़ी निगरानी
बर्फीले इलाकों में आतंकियों की हरकतों पर नजर रखने के लिए ड्रोन, थर्मल इमेजर्स, ग्राउंड सेंसर्स और विशेष विंटर वारफेयर ट्रेनिंग प्राप्त यूनिट्स को संवेदनशील सेक्टरों में तैनात किया गया है। साफ किए गए क्षेत्रों में निरंतर निगरानी और दोबारा तलाशी से आतंकियों के लौटने की संभावनाएं कम की जा रही हैं।
सेना का स्पष्ट संदेश
अधिकारियों के मुताबिक, इस सर्दी का मुख्य लक्ष्य बचे हुए आतंकी ठिकानों को पूरी तरह खत्म करना और किसी भी तरह के पुनर्संगठन को रोकना है। यह अभियान साफ संदेश देता है कि अब खराब मौसम भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में कोई सुरक्षा कवच नहीं दे पाएगा।