श्रीनगर: हजरतबल दरगाह पर हमला, राष्ट्रीय चिन्ह से छेड़छाड़; प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
श्रीनगर में हजरतबल दरगाह की पट्टिका तोड़कर राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान किया गया। विपक्ष और वक्फ बोर्ड ने घटना की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और आजीवन प्रतिबंध की मांग की।
श्रीनगर में हजरतबल दरगाह की पट्टिका तोड़कर राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान किया गया।
श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के हजरतबल दरगाह में अस्सारी शरीफ हजरतबल मस्जिद के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास के लिए जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड द्वारा स्थापित एक पत्थर की पट्टिका को तोड़ने की घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है।
इस घटना को लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय" बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान करने वालों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन को तत्काल सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
अंद्राबी ने घटना को "आतंकी हमला" बताया
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष और बीजेपी नेता डॉ. दाराख्शां अंद्राबी ने इस घटना को "आतंकी हमला" करार दिया। उन्होंने कहा कि यह हमला एक राजनीतिक पार्टी के गुंडों द्वारा किया गया, जिन्होंने पहले भी कश्मीर को नुकसान पहुंचाया है।
अंद्राबी ने बताया कि भीड़ ने न केवल राष्ट्रीय चिन्ह को अपमानित किया, बल्कि वक्फ बोर्ड के प्रशासक पर भी हमला करने की कोशिश की, जो बाल-बाल बच गए। उन्होंने इस घटना को दरगाह की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया और कहा कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। साथ ही, उन्हें दरगाह में आजीवन प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
यह घटना एक वायरल वीडियो के माध्यम से सामने आई, जिसमें भीड़ को राष्ट्रीय चिन्ह को नुकसान पहुंचाते देखा गया। इसने स्थानीय लोगों और नेताओं में आक्रोश पैदा कर दिया है। प्रशासन से मांग की जा रही है कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
हजरतबल दरगाह का परिचय
स्थान: यह श्रीनगर में डल झील के किनारे स्थित है।
महत्व: मुस्लिम समुदाय के लिए यह सबसे पवित्र स्थल माना जाता है क्योंकि यहां पैगंबर मोहम्मद साहब (Prophet Muhammad) के बाल (मोई-ए-मुकद्दस) सुरक्षित रखे गए हैं।
नाम का अर्थ: "हजरत" का मतलब है सम्मानित/पवित्र और "बल" का अर्थ है स्थान। यानी पवित्र स्थल।
हजरतबल दरगाह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 17वीं सदी में सैद अब्दुल्लाह नामक सज्जन ने यहां एक गार्डन और हवेली का निर्माण कराया।
- बाद में यह हवेली सत्तारूढ़ मुगलों के अधीन आ गई और इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।
- समय-समय पर यहां कई बार पुनर्निर्माण और विस्तार हुआ।
हजरतबल दरगाह का धार्मिक महत्व
- यहां रखा गया पवित्र धरोहर "मोई-ए-मुकद्दस" (Prophet Muhammad का बाल) हर साल खास मौकों पर जनता को दिखाया जाता है।
- ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Prophet Muhammad का जन्मदिन) और अन्य बड़े इस्लामिक त्योहारों पर हजारों श्रद्धालु यहाँ जुटते हैं।
- यह दरगाह न केवल मुस्लिमों के लिए बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी आस्था और शांति का केंद्र है।
हजरतबल दरगाह की वास्तुकला
- दरगाह की इमारत सफेद संगमरमर से बनी है।
- इसका गुंबद और मीनारें कश्मीर की इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं।
- डल झील के किनारे स्थित होने के कारण इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
- हजरतबल दरगाह का पर्यटन महत्व
- हजरतबल दरगाह श्रीनगर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
- यहां आने वाले सैलानी धार्मिक माहौल और झील के नज़ारे दोनों का आनंद लेते हैं।
- यह जगह आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम मानी जाती है।
संक्षेप में, हजरतबल दरगाह कश्मीर की धार्मिक आस्था, संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है, जो पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।