अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन 2025: विठ्ठलभाई पटेल की स्मृति में दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासिक आयोजन, 100 वर्ष पूरे होने का उत्सव

दिल्ली विधानसभा में विठ्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा स्पीकर बनने के 100 वर्ष पूरे होने पर विशेष आयोजन। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने याद किया उनका योगदान और भारतीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका।

Updated On 2025-08-24 15:21:00 IST

दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। 

नई दिल्ली। 24 अगस्त 2025 को दिल्ली विधानसभा में स्वतंत्रता सेनानी विठ्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा स्पीकर बनने के 100 वर्ष पूरे होने का ऐतिहासिक उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सभा को संबोधित करते हुए विठ्ठलभाई पटेल के योगदान और भारतीय लोकतंत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान को याद किया।

अमित शाह ने कहा कि 24 अगस्त 1925 को विठ्ठलभाई पटेल केंद्रीय विधानसभा के स्पीकर बने थे, जिन्होंने भारत की विधायी परंपराओं की नींव रखी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि देश की सभी विधानसभाओं में ऐसे महान नेताओं की स्मृति में प्रदर्शनी और पुस्तकालय संग्रह बनाए जाने चाहिए, ताकि नई पीढ़ी उनके योगदान को समझ सके।

इस अवसर पर शाह ने स्वतंत्रता आंदोलन में विधानसभा की भूमिका और गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, चितरंजन दास, पंडित मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं के योगदान को भी याद किया। उन्होंने गुजरात के दो भाइयों, सरदार वल्लभभाई पटेल और विठ्ठलभाई पटेल, के योगदान पर विशेष जोर देते हुए कहा कि सरदार पटेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी के साथ मिलकर काम किया, जबकि विठ्ठलभाई पटेल ने विधायी परंपराओं के जरिए भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया।

इस अवसर पर विधानसभा में विठ्ठलभाई पटेल की स्मृति में एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसे शाह ने देश की अन्य विधानसभाओं में दोहराने की सलाह दी।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "यह दो दिवसीय सत्र महत्वपूर्ण है। हमें महान नेताओं की विरासत को समझने और उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।" उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही को ऑनलाइन देखने की सुविधा का उल्लेख करते हुए सभी विधानसभाओं की परंपराओं के महत्व को रेखांकित किया।

रिजिजू ने जोर देकर कहा कि संसद और विधानसभाओं का सुचारू संचालन लोकतंत्र की मजबूती के लिए अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में हंगामा स्वाभाविक है, क्योंकि विभिन्न विचारधाराओं के लोग एक मंच पर आते हैं। विपक्ष का काम सरकार की आलोचना करना है, लेकिन सदन को चलने न देना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

यह आयोजन न केवल विठ्ठलभाई पटेल के योगदान को याद करने का अवसर था, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और विधायी परंपराओं के महत्व को भी उजागर करता है। दिल्ली विधानसभा का यह प्रयास देश की अन्य विधानसभाओं के लिए प्रेरणा बन सकता है।

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