'संजीवनी' की आड़ में जहर: छिंदवाड़ा सिरप कफ केस में एक्शन से थम जाएगा नकली दवाओं का काला कारोबार?
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप से 11 बच्चों की मौत के बाद एक्शन शुरू हो चुका है। लेकिन क्या इस एक्शन के बाद से नकली दवाओं के कारोबार पर रोक लग पाएगी।
छिंदवाड़ा कफ सिरप केस में एक्शन के बाद नकली दवा कारोबार पर कसेगा शिकंजा?
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में Coldrif कफ सिरप पीने से एक महीने के भीतर 14 बच्चों की मौत हो चुकी है। देर से ही सही, अब इन मासूमों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर शिकंजा कसा जा रहा है। इस कड़ी में जहां नकली कफ सिरप देने वाले डॉक्टर प्रवीन सोनी के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं संबंधित दवा कंपनी के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन, इस एक्शन के बावजूद उन परिवारों का क्या, जिन्होंने दवा के चक्कर में अपने ही बच्चों को 'जहर' पिला दिया।
यह पहला मौका नहीं है, जब नकली दवा के चलते लोगों ने जान गंवाई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की ओर से जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 के बीच आंकड़ों पर नजर डालें तो 575 दवाओं को मानक गुणवत्ता के नीचे और नकली करार माना गया। इनमें आई ड्रॉप से लेकर पैरासिटामोल टैबलेट तक विभिन्न प्रकार की दवाएं शामिल हैं।
CDSCO ने उन कंपनियों के नाम भी उजागर किए थे, जिनकी दवाएं नकली या तय मानकों से कमतर पाई गई थीं। इमनें हिमाचल प्रदेश के सोलन में निर्मित कार्बोक्सीमिथाइल सेल्यूलोज सोडियम आई ड्रॉप्स, उतराखंड के हरिद्वार में निर्मित बुपीवाकेन हाईड्रोक्लोराइड इंजेक्शन, जो कि सर्जरी या अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में इस्तेमाल होती हैं, इसे भी तय मानकों पर फेल पाया गया। यही नहीं, हैदराबाद और गुजरात से भी दो कंपनियों की दवा नकली पाई गई थीं।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की इस रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी दोषपूर्ण बैच की दवाओं को बाजार से वापस लेने के लिए संबंधित कंपनियों को निर्देश जारी कर दिए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार सतर्क रहता है, इसके बावजूद बाजार में नकली दवाएं मिलना जैसा कि आम बात हो चली है।
देश की राजधानी दिल्ली में मई 2025 के दौरान भागीरथी पैलेस में नकली दवाओं का पर्दाफाश हुआ था। दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग और पुलिस की छापेमारी के दौरान कैंसर, ह्रदय और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने वाली दवाएं भी नकली पाई गई थीं।
इस अभियान के दौरान कुल 14 करोड़ से ज्यादा की नकली दवाएं बरामद की गई थीं। इससे पहले जनवरी 2025 में भी 8 करोड़ रुपये की नकली दवाओं का भंडाफोड़ हुआ था। अब सवाल उठता है कि जब दवाओं के नाम पर इतनी लूट हो रही है तो भरोसा किस पर किया जाए।
भारत में दवा के लिए मानक कड़े
छिंदवाड़ा की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पूरी दुनिया में दवाओं के मानवीकरण के लिए निश्चित व्यवस्था बनी है। किसी दवा को मानव उपभोगी बनाने के लिए कठोर प्रक्रिया से गुजरना होता है। उन्होंने कहा कि भारत में इसके लिए पूरी दूनिया से ज्यादा कठोर मानक अपनाए गए हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर इन मानकों के उल्लंघन का मामला संज्ञान में आता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
राजस्थान कांग्रेस ने किया प्रदर्शन
उधर, राजस्थान कांग्रेस ने नकली दवाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार को समझ नहीं है कि अगर नकली दवा बेची जाएगी तो लोग कैसे बचेंगे। उन्होंने सरकार से इस पर जवाब मांगा। साथ ही कहा कि दवा के नाम पर किसी कीमत को जहर बेचना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रतिबंधित दवाओं के खिलाफ अभियान शुरू
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