Pneumonia Treatment: सामान्य सर्दी-जुकाम कहीं बन न जाए निमोनिया, 5 लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क, ऐसे करें बचाव

Pneumonia Treatment: सामान्य सर्दी-जुकाम होने पर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। कई बार स्थिति गंभीर होकर निमोनिया में तब्दील हो सकती है। कुछ लक्षणों को ध्यान में रखकर तुंरत इलाज कराएं।

Updated On 2024-11-16 17:51:00 IST
निमोनिया के लक्षण एवं बचाव।

Pneumonia Treatment: निमोनिया एक गंभीर फेफड़ों का संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस, या कवक के कारण हो सकता है। यह समस्या बच्चों और बुजुर्गों में अधिक आम है, लेकिन किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। निमोनिया के लक्षण और उससे बचने के उपायों के बारे में जागरूकता बहुत आवश्यक है ताकि इस संक्रमण से खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को सुरक्षित रखा जा सके। 

निमोनिया होने पर सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट इन लक्षणों के सामने आने पर लापरवाही न बरतने की सलाह देते हैं।  इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. रवि डोसी से जानें इस बीमारी की पहचान और इससे बचाव से जुड़ी ज़रूरी बातें।

निमोनिया के लक्षण

निमोनिया होने पर शरीर में कुछ विशेष लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों में सबसे आम हैं साँस लेने में अत्यधिक तकलीफ होना, खांसी, सीने में दर्द, भूख न लगना, और बुखार। कुछ लोगों में गंभीर ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, थकान और कमजोरी भी शामिल हो सकते हैं।

यह संक्रमण फेफड़ों में सूजन का कारण बनता है, जिससे फेफड़ों में बलगम और द्रव्य भर जाता है और साँस लेने में कठिनाई होती है। निमोनिया के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं, और ये मरीज की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में इसकी गंभीरता अधिक होती है।

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निमोनिया से बचाव के तरीके

टीका लगवाएं
निमोनिया से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीका टीका लगवाना है। न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV13) निमोनिया के प्रमुख कारण बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करती है। यह टीका दो महीने की उम्र से शिशुओं को दिया जा सकता है और तीन से चार खुराक की श्रृंखला के रूप में दिया जाता है। 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों और अन्य उच्च जोखिम वाले लोगों को भी एक बार इस टीके की खुराक लेने की सलाह दी जाती है। इससे उनके फेफड़ों को संक्रमण से सुरक्षा मिलती है और निमोनिया का खतरा कम होता है।

धूम्रपान से बचें
धूम्रपान फेफड़ों को कमजोर बनाता है और उनके संक्रमण से लड़ने की क्षमता को घटाता है। धूम्रपान से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है और वह कीटाणुओं को हटाने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए, धूम्रपान से दूर रहना निमोनिया से बचने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।

स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें
स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि भी निमोनिया से बचाव में मददगार होती है। अच्छा पोषण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है, जो निमोनिया जैसे संक्रमणों से लड़ने में सहायक होता है। साथ ही, शराब का सेवन सीमित करने से फेफड़ों पर कम भार पड़ता है।

पुरानी बीमारियों को नियंत्रित करें
मधुमेह, अस्थमा, और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियाँ निमोनिया के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इन बीमारियों का उचित नियंत्रण और समय पर उपचार निमोनिया के खतरे को कम करने में सहायक होता है।

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स्वच्छता का ध्यान रखें
स्वच्छता बनाए रखना निमोनिया जैसे संक्रमण से बचने का आसान और प्रभावी तरीका है। हाथों को बार-बार धोएँ, खाँसते और छींकते समय टिश्यू या रुमाल का उपयोग करें, और दूसरों से संपर्क के दौरान सावधानी बरतें। सतहों को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित करना भी आवश्यक है।

घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता में सुधार करें
अस्वास्थ्यकर इनडोर हवा निमोनिया के जोखिम को बढ़ा सकती है। घर में अच्छी हवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए स्वच्छ ईंधन और उचित वेंटिलेशन का उपयोग करें। विशेष रूप से रसोई में साफ-सुथरे स्टोव और निकास पंखों का उपयोग करें।

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