Cyber Insurance: घर से फ्रीलांस काम कर रहे हैं तो क्या आपको साइबर इंश्योरेंस की ज़रूरत? जान लें कितना फायेदमंद
cyber insurance: फ्रीलांसर्स साइबर अटैक का आसान टारगेट बनते जा रहे हैं। ऐसे में साइबर इंश्योरेंस नुकसान ऐसे लोगों के लिए अहम साबित हो सकता है। ये नुकसान से ज्यादा मदद और सपोर्ट देता है।
वर्क फ्रॉम होम करने वाले फ्रीलांसर्स के लिए साइबर इंश्योरेंस जरूरी हो गया है।
cyber insurance: वर्क फ्रॉम होम करने वाले ज्यादातर फ्रीलांसर्स को साइबर इंश्योरेंस एक बेकार खर्च लगता है। आम सोच यही होती है कि मैं कोई बड़ी कंपनी नहीं हूं, बस एक लैपटॉप पर काम करता हूं, फिर मुझे हैक कौन करेगा? लेकिन यही सोच फ्रीलांसर्स को सबसे आसान निशाना बना देती।
साइबर अटैक इसलिए नहीं होते कि सामने वाला बहुत बड़ा या मशहूर है, बल्कि इसलिए होते हैं क्योंकि सिस्टम कमजोर होता है। और सच यह है कि घर से काम करने वाले फ्रीलांसर्स अक्सर बिना जाने ही कमजोर होते हैं।
घर से काम करने वाले आसान शिकार
ज़रा अपने लैपटॉप पर मौजूद डेटा के बारे में सोचिए। क्लाइंट के कॉन्ट्रैक्ट, इनवॉइस, बैंक डिटेल्स, केवायसी डॉक्यूमेंट, ईमेल, व्हाट्सऐप चैट, डिजाइन या कंटेंट फाइल्स, क्लाउड ड्राइव और टूल्स के पासवर्ड, ये सब आपकी डिजिटल जिम्मेदारी हैं। अगर आपका ईमेल हैक हुआ, तो नुकसान सिर्फ आपका नहीं होगा। हैकर आपके नाम से क्लाइंट को मेल कर सकता है, पैसे मांग सकता है या डेटा चुरा सकता। ऐसे में सबसे पहले सवाल आपसे ही पूछे जाएंगे।
फ्रीलांसर्स के साथ होता है साइबर अटैक
फ्रीलांसर्स के साथ होने वाले साइबर अटैक अक्सर फिल्मी नहीं होते। एक फर्जी इनवॉइस मेल, जल्दी में खोला गया लिंक, हर जगह एक ही पासवर्ड, या कैफे में चोरी हुआ फोन, इतना काफी है। फिर अचानक जीमेल लॉक हो जाता है, ड्राइव एक्सेस चला जाता या लैपटॉप पर रैनसमवेयर का मैसेज आ जाता। सबसे बड़ी दिक्कत पैसे की नहीं, समय की होती है। फ्रीलांसर के पास आईटी टीम नहीं होती। सिस्टम डाउन मतलब काम ठप।
यहीं साइबर इंश्योरेंस काम आता है। यह सिर्फ मुआवजा देने की पॉलिसी नहीं होती, बल्कि मुश्किल वक्त में मदद का सिस्टम होती है। सही पॉलिसी डेटा रिकवरी, टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद, कानूनी सपोर्ट और कुछ मामलों में काम रुकने से हुए नुकसान की भरपाई भी करती।
अगर आपकी कमाई पूरी तरह लैपटॉप और इंटरनेट पर निर्भर है, आप क्लाइंट डेटा संभालते हैं, इनवॉइस और पेमेंट से जुड़े हैं, विदेशी क्लाइंट्स के साथ काम करते हैं या फाइनेंस, लीगल, टेक, एजुकेशन जैसे सेक्टर में हैं मैं तो साइबर इंश्योरेंस पर विचार करना समझदारी है। खासकर तब, जब आपके पास मजबूत बैकअप सिस्टम नहीं। हालांकि, हर किसी को इसकी जरूरत नहीं होती। अगर आपका काम लो-रिस्क है, डेटा कम है और तकनीकी गड़बड़ी से बड़ा नुकसान नहीं होगा। तो मजबूत पासवर्ड, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और नियमित बैकअप काफी हो सकता है।
आखिर में खुद से दो सवाल पूछिए कि अगर कल लैपटॉप और ईमेल बंद हो जाएं, तो कितने दिन की कमाई जाएगी? और अगर क्लाइंट का डेटा लीक हो जाए, तो क्या आप अकेले उसका सामना कर पाएंगे? अगर जवाब परेशान करता है, तो साइबर इंश्योरेंस सिर्फ खर्च नहीं, सुरक्षा है।
(प्रियंका कुमारी)