US Tariff: कपड़े, जूते...ज्वेलरी, ट्रंप का 50% टैरिफ भारत पर लागू, किस सेक्टर पर कितना असर?

US Tariff on India: अमेरिका का भारत के खिलाफ 50% टैरिफ बुधवार से लागू हो गया। इससे भारत के करीब दो-तिहाई एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा। किस सेक्टर को इस टैरिफ से कितना असर पड़ सकता है, आइए जानते हैं।

Updated On 2025-08-27 15:09:00 IST
अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ का असर किन सेक्टर्स पर पड़ेगा। 

US Tariff on India: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर का असर बुधवार से नजर आने लगेगा। अमेरिका ने जो भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया था, वो अमल में आ गया है। इससे अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट पर मार पड़ी है। बुधवार सुबह 9.31 बजे (भारतीय समय के मुताबिक) दो तिहाई एक्सपोर्ट पर 50 फीसदी टैरिफ लग गया है। ये दर पहले से लागू 25% टैरिफ से दोगुनी है।

अमेरिका ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 फीसदी की पेनल्टी लगाई थी। इसी वजह से टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो गया है। अनुमान है कि सालाना करीब 60 अरब डॉलर कीमत का भारतीय एक्सपोर्ट इस फैसले की चपेट में आएगा।

क्यों लगाया गया टैरिफ?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा है कि भारत रूस से लगातार कच्चा तेल और रक्षा उपकरण खरीद रहा। इसी वजह से अमेरिकी सरकार ने यह सख्त कदम उठाया। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के मुताबिक, जो भी भारतीय सामान बुधवार से अमेरिका में कंजंप्शन के लिए एंट्री करेगा, उस पर यह टैरिफ लगेगा।

अमेरिका के इस फैसले का कितना बड़ा असर?

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक, भारत हर साल लगभग 86.5 अरब डॉलर का माल अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है। इनमें से करीब 60.2 अरब डॉलर का निर्यात अब 50% टैरिफ के दायरे में आ गया। भारतीय सरकारी आंकड़े थोड़े कम हैं-करीब 48.2 अरब डॉलर पर असर पड़ने का अनुमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाई टैरिफ से भारतीय निर्यात अमेरिका में महंगा हो जाएगा और व्यापारिक रूप से यह खरीदने योग्य नहीं रह सकता। इससे लाखों नौकरियों पर खतरा मंडराएगा।

किन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा मार?

टेक्सटाइल और एपेरल: भारत हर साल 10.8 अरब डॉलर के टेक्सटाइल और एपेरल प्रोडक्ट निर्यात करता है। अब 13.9% की जगह 63.9% टैरिफ लगेगा। इसका सबसे ज्यादा असर तिरुपुर, नोएडा-गुरुग्राम, बेंगलुरु, लुधियाना और जयपुर जैसे टेक्सटाइल हब पर होगा।

जेम्स और ज्वेलरी: अमेरिका को भारत का 10 अरब डॉलर का निर्यात इस क्षेत्र में भारत के वैश्विक निर्यात का 40 फीसदी है। टैरिफ 2.1% से बढ़कर 52.1 प्रतिशत हो जाएगा, जिससे सूरत, मुंबई और जयपुर में नौकरियां खत्म होने का खतरा है। जहाँ यह उद्योग कटिंग, पॉलिशिंग और विनिर्माण में लाखों लोगों को रोजगार देता है।

श्रिम्प (झींगा) : 2.4 अरब डॉलर का निर्यात, जो 32% से ज्यादा था, अब 60% ड्यूटी के दायरे में आ गया है। आंध्र प्रदेश और विशाखापट्टनम जैसे प्रोसेसिंग हब्स को बड़ा नुकसान होगा जबकि इक्वाडोर, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी बाजार हिस्सेदारी पर कब्ज़ा कर लेंगे।

कालीन: वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को भारत का निर्यात 1.2 अरब डॉलर था, जिसमें वाशिंगटन की भारतीय कालीन निर्यात में 58.6 फीसदी हिस्सेदारी थी। टैरिफ 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 52.9 प्रतिशत हो गए, जिससे भदोही, मिर्जापुर और श्रीनगर के कारीगरों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है जबकि तुर्की, पाकिस्तान, नेपाल और चीन को फायदा हो रहा ।

हैंडिक्राफ्ट: 1.6 अरब डॉलर के निर्यात पर चोट। जोधपुर, मुरादाबाद और सहारनपुर जैसे हब्स प्रभावित होंगे।

लेदर और फुटवियर: भारत का अमेरिका को चमड़े के सामान और जूते का निर्यात 1.2 अरब डॉलर का है। अब इसपर 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा, जिससे वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया और मेक्सिको के मुकाबले निर्यात कम हो जाएगा और आगरा, कानपुर और तमिलनाडु के अम्बुर-रानीपेट क्लस्टर पर खतरा मंडरा रहा है।

एग्रीकल्चर और फूड: 6 अरब डॉलर मूल्य का बासमती चावल, चाय और मसाले अब महंगे हो जाएंगे। पाकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम को बड़ा फायदा मिल सकता है।

किसे छूट मिली?

करीब 30% यानी 27.6 अरब डॉलर का निर्यात पहले जैसा ही बिना शुल्क के जाएगा। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा दवाइयों और एपीआई का है। इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, चिप्स, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और कुछ धातुएं भी इस लिस्ट में शामिल हैं।

नतीजा क्या होगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत से अमेरिका जाने वाले निर्यात में 43% तक की गिरावट हो सकती है। ऐसे में चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश इस मौके का फायदा उठाकर अमेरिकी बाजार पर कब्जा जमा सकते हैं।

(प्रियंका कुमारी)

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