LPG import: भारत ने अमेरिका से की पहलाी लॉन्ग टर्म LPG इंपोर्ट डील, जानिए क्या मिलेगा फायदा ?
LPG import : भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहली बार भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने अमेरिका से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आयात करने के लिए एक साल का दीर्घकालिक समझौता किया है।
Hardeep Singh Puri
(एपी सिंह ) LPG import : भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहली बार भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने अमेरिका से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आयात करने के लिए एक साल का दीर्घकालिक समझौता किया है। इस समझौते के तहत भारत अमेरिका से सालाना लगभग 2.2 मिलियन टन LPG खरीदेगा, जो देश के LPG बाजार में एक अहम बदलाव है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस डील से ऊर्जा आपूर्ति में निरंतरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही इसके मूल्य भी स्थिर रखे जा सकेंगे।
पुरी बोले यह ऐतिहासिक उपलब्धि
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस समझौते की जानकारी एक सोशल मीडिया पोस्ट में दी और इसे देश के LPG सेक्टर के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते LPG बाज़ारों में से एक है। ऊर्जा आपूर्ति को स्थिर और किफायती बनाने के लिहाज से यह समझौता बेहद अहम है।
माउंट बेलव्यू बेंचमार्क से जुड़ी होंगे रेट
भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने लगभग 2.2 एमटीपीए एलपीजी के आयात के लिए एक साल का सौदा किया है। यह देश के कुल वार्षिक LPG आयात का लगभग 10% हिस्सा है। यह LPG अमेरिकी गल्फ कोस्ट से भेजी जाएगी। इसकी कीमत माउंट बेलव्यू बेंचमार्क से जुड़ी होगी, जो वैश्विक LPG व्यापार का प्रमुख मूल्य निर्धारण केंद्र है।
कई दौर की बातचीत के बाद हुई डील
पुरी ने यह भी बताया कि IOCL, BPCL और HPCL की टीमों ने पिछले महीनों में अमेरिका जाकर प्रमुख अमेरिकी उत्पादकों के साथ कई दौर की बातचीत की, जिसके बाद यह समझौता संभव हो सका। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य भारत के घरेलू उपभोक्ताओं को खासकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को किफायती LPG उपलब्ध कराना है।
सरकार ने उठाया बढ़ी लागत का बोझ
उन्होंने याद दिलाया कि पिछले साल वैश्विक LPG कीमतों में 60% से ज्यादा बढ़ोतरी के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने तय किया कि उज्ज्वला उपभोक्ताओं को केवल ₹500–₹550 प्रति सिलेंडर ही देने होंगे। जबकि इसकी असली कीमत ₹1,100 से अधिक थी। लोगों पर बोझ न पड़े, इसके लिए सरकार ने साल भर में ₹40,000 करोड़ से अधिक की राशि खुद वहन की।