Railway Rules: ट्रेन के जनरल कोच में कितने लोग कर सकते हैं सफर? जान लें क्या कहता है रेल्वे का नियम

Railway Rules: ट्रेन की जनरल बोगी अक्सर खचाखच भरी दिखाई देती है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसमें आखिर कितने लोग सफर कर सकते हैं। जानते हैं इसका जवाब।

Updated On 2025-07-24 16:20:00 IST

जनरल कोच में यात्रा से जुड़े नियम।

Railway Rules: भारतीय रेल में सफर करने वाले करोड़ों यात्रियों के लिए जनरल कोच (General Coach) एक अहम सहारा होता है। यह बिना रिजर्वेशन वाला कोच होता है, जहां कम किराए में यात्रा की जा सकती है। खासकर छोटे शहरों, गांवों और रोजाना अप-डाउन करने वालों के लिए जनरल कोच सबसे अधिक उपयोगी होता है। लेकिन अक्सर आपने देखा होगा कि इन डिब्बों में भारी भीड़ होती है और कई बार लोग गेट तक लटके नजर आते हैं।

ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जनरल कोच में कितने लोगों के सफर की अनुमति होती है? क्या रेलवे ने इसके लिए कोई तय सीमा या नियम बनाया है? क्या भीड़ के बावजूद यह सब कुछ नियमों के तहत होता है या फिर यात्री अपनी मर्जी से किसी भी हालत में चढ़ जाते हैं? आइए जानते हैं जनरल कोच को लेकर रेलवे की क्या गाइडलाइन है और असल में क्या होता है जमीनी स्तर पर।

जनरल कोच में कितने यात्री बैठ सकते हैं?

रेलवे के अनुसार, एक जनरल कोच की निर्धारित क्षमता 90 से 100 यात्रियों की होती है, जिसमें लगभग 70 लोग बैठ सकते हैं और बाकी खड़े होकर यात्रा कर सकते हैं। यह आंकड़ा कोच के डिज़ाइन और संरचना पर निर्भर करता है। हालांकि, भीड़भाड़ वाले रूट्स या त्योहारों के समय यह संख्या 200 से 300 तक पहुंच जाती है, जो तय सीमा से कहीं ज्यादा होती है।

रेलवे के नियम क्या कहते हैं?

रेलवे एक्ट के अनुसार, एक कोच में जितने यात्रियों की क्षमता है, उससे अधिक लोगों को सफर की अनुमति देना तकनीकी रूप से ठीक नहीं है। लेकिन जनरल टिकट होने के कारण इसमें बोर्डिंग की कोई आरक्षित सीट नहीं होती, और अधिकतर यात्री ट्रेन में चढ़ने के लिए स्वतंत्र होते हैं। यही कारण है कि रेलवे ऐसे यात्रियों को यात्रा से नहीं रोकता, जब तक कोई सुरक्षा या खतरे की स्थिति न हो।

क्या अधिक भीड़ पर कार्रवाई होती है?

हां, यदि कोच में जरूरत से ज्यादा भीड़ हो और वह यात्रा की सुरक्षा को प्रभावित करती है, तो रेलवे सुरक्षा बल (RPF) या ट्रेन स्टाफ को कार्रवाई करने का अधिकार है। कुछ मामलों में यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट किया जा सकता है या अगली ट्रेन के लिए रोका जा सकता है।

समाधान क्या है?

रेलवे भी इस समस्या से वाकिफ है और लगातार ट्रेनों में अतिरिक्त जनरल कोच लगाने या लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करता है। डिजिटल टिकटिंग और QR कोड स्कैनिंग जैसे उपायों से भीड़ को मॉनिटर करने की कोशिश की जा रही है।

जनरल कोच में यात्रा करना सस्ता जरूर है, लेकिन सुविधाजनक नहीं। रेलवे की नियमावली है, लेकिन अधिकतर स्थितियों में भीड़ और जरूरत के आगे नियमों का पालन नहीं हो पाता। बेहतर होगा कि यात्री समय पर यात्रा करें, भीड़ से बचें और सुरक्षित सफर को प्राथमिकता दें।

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