Auto News: ऑटो इंडस्ट्री में राजनीति का असर, 2026 से पहले फोर्ड-जीएम के सामने बड़ी चुनौती
ऑटो उद्योग के लिए असली चुनौती अमेरिका के बाहर से उभर रही है। चीन की वाहन कंपनियां तेजी से वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ बना रही हैं।
2026 से पहले फोर्ड-जीएम के सामने बड़ी चुनौती ऑटो इंडस्ट्री में राजनीति का असर
Auto News: साल 2025 अमेरिकी ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए राजनीति और कारोबार के असामान्य मेल का साल साबित हुआ है। व्हाइट हाउस की नीतियों का असर अब केवल बाजार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ऑटो कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के सार्वजनिक बयानों और व्यवहार में भी साफ दिखने लगा है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की लाल टोपी और जापान में एक मोटरस्पोर्ट इवेंट के दौरान टोयोटा चेयरमैन अकीओ टोयोडा की राजनीतिक मौजूदगी इस बदलते माहौल की मिसाल हैं।
इसी पृष्ठभूमि में डेट्रॉइट की दिग्गज कंपनियां फोर्ड और जनरल मोटर्स (GM) 2026 की ओर बढ़ रही हैं। फिलहाल दोनों कंपनियां मजबूत नजर आती हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह मजबूती आगे चलकर इनके लिए जोखिम भी बन सकती है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर की व्यापार नीतियों और इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सख्त रुख से अमेरिकी वाहन निर्माताओं को राहत मिली। शुरुआती दबाव के बाद टैरिफ में नरमी और ईंधन दक्षता नियमों में ढील से फोर्ड और जीएम को संभलने का मौका मिला। इसका असर शेयर बाजार में भी दिखा, जहां दोनों कंपनियों ने लंबे समय बाद बेहतर प्रदर्शन किया।
हालांकि निवेशक अब भी सतर्क हैं। फोर्ड और जीएम के शेयर कम मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि बाजार इस मजबूती को नीतिगत संरक्षण का नतीजा मान रहा है, न कि दीर्घकालिक तकनीकी बढ़त का।
ऑटो उद्योग के लिए असली चुनौती अमेरिका के बाहर से उभर रही है। चीन की वाहन कंपनियां तेजी से वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ बना रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहन लगातार सस्ते और तकनीकी रूप से उन्नत हो रहे हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और तेज हुई है।
बैटरी तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोनॉमस ड्राइविंग जैसे क्षेत्रों में हो रहे बदलाव ऑटो इंडस्ट्री की दिशा तय कर रहे हैं। जीएम का रोबोटैक्सी प्रोजेक्ट ‘क्रूज’ और फोर्ड की ईवी चुनौतियां दिखाती हैं कि 2026 इनके लिए राहत नहीं, बल्कि निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
(मंजू कुमारी)