Car Safety: क्या होते हैं फ्लश डोर हैंडल्स? इनसे कितना बदलेगा कार का एरोडायनामिक्स?
फ्लश डोर हैंडल्स जैसे फीचर शुरुआती इलेक्ट्रिक कारों में देखे गए, लेकिन अब टाटा अल्ट्रोज़ और महिंद्रा XUV700 जैसी पेट्रोल-डीजल कारों में भी इनका यूज होने लगा है।
फ्लश डोर हैंडल पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म पर निर्भर होते हैं
Car Safety: ऑटोमोबाइल डिजाइन तेजी से बदल रहा है, और कार कंपनियां अब अधिक स्मूथ, प्रीमियम और एरोडायनामिक लुक के लिए नए फीचर्स शामिल कर रही हैं। इसी ट्रेंड का हिस्सा हैं फ्लश डोर हैंडल्स, जो आज टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियों की कई कारों में तेजी से देखने को मिल रहे हैं।
क्या होते हैं फ्लश डोर हैंडल्स?
- फ्लश डोर हैंडल्स दरवाजे की सतह के साथ ही फिट होते हैं और बाहर की ओर निकले हुए नहीं दिखते। इन्हें इस तरह डिजाइन किया जाता है कि दरवाजे की बॉडी क्लीन, मॉडर्न और प्रीमियम दिखाई दे।
- इनका उद्देश्य कार की एरोडायनामिक्स बेहतर करना, बॉडी लाइन्स को स्मूथ बनाना और डिजाइन को हाई-एंड लुक देना है। पहले ये फीचर इलेक्ट्रिक कारों में देखे गए थे, लेकिन अब टाटा अल्ट्रोज़ और महिंद्रा XUV700 जैसी पेट्रोल-डीजल कारों में भी इनका उपयोग होने लगा है।
स्मार्ट डिजाइन, लेकिन सेफ्टी की बड़ी चुनौतियां
हालांकि फ्लश डोर हैंडल्स दिखने में बेहद आकर्षक होते हैं, लेकिन इनके साथ कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा जोखिम जुड़े हैं:
1. इलेक्ट्रॉनिक फेल्योर का खतरा
फ्लश डोर हैंडल पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म पर निर्भर होते हैं। ऐसे में अगर बैटरी डिस्चार्ज हो जाए या इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम फेल हो जाए, तो हैंडल बाहर नहीं आएंगे और दरवाजा पूरी तरह लॉक रह सकता है। इसका सीधा परिणाम यह है कि अंदर बैठे लोग फंस सकते हैं, और रेस्क्यू टीम को दरवाजा खोलने में अतिरिक्त समय लग सकता है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
2. इमरजेंसी में कठिनाई
कई कंपनियां फ्लश डोर हैंडल के साथ बैकअप मैनुअल रिलीज जरूर देती हैं, लेकिन ये अक्सर ऐसी जगह होती हैं जहाँ सामान्य हालात में भी ढूंढना आसान नहीं होता। दुर्घटना, पानी भरने या घबराहट की स्थिति में इन्हें पहचानना और इस्तेमाल करना और भी मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि इमरजेंसी के समय कार से बाहर निकलना एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
3. चोट लगने का जोखिम
कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि फ्लश डोर हैंडल को खींचते समय उंगलियों के फंसने या हैंडल के अचानक बाहर आ जाने पर चोट लगने जैसी घटनाएँ हुई हैं, जिससे इनके उपयोग को लेकर एक अतिरिक्त सुरक्षा चिंता जुड़ जाती है।
4. एक्सीडेंट और पानी में फेल होने की संभावना
अगर कार साइड से टकरा जाए या भारी बारिश व बाढ़ जैसी परिस्थितियों में इसका इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम प्रभावित हो जाए, तो फ्लश डोर हैंडल सही से बाहर नहीं आ पाते। ऐसी स्थिति में शॉर्ट सर्किट का जोखिम बढ़ जाता है और दरवाजा लॉक रह सकता है। यह सब मिलकर अंदर बैठे यात्रियों के लिए बेहद गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, खासकर जब तुरंत बाहर निकलना जरूरी हो।
नतीजा: स्टाइलिश फीचर, लेकिन सुरक्षा सर्वोपरि
फ्लश डोर हैंडल कारों को भले ही प्रीमियम और फ्यूचरिस्टिक लुक देते हों, लेकिन इमरजेंसी स्थितियों में सुरक्षा अभी भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है। अगर ऑटोमोकर इस फीचर को आगे अपनाना चाहते हैं, तो उन्हें मजबूत बैकअप सिस्टम, विश्वसनीय मैनुअल ओपनिंग मैकेनिज्म और कड़े सेफ्टी रेगुलेशन जैसे उपायों को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा। ऐसा करना इसलिए ज़रूरी है ताकि स्टाइलिश डिजाइन के चलते यात्रियों की सुरक्षा किसी भी स्थिति में खतरे में न पड़े।
(मंजू कुमारी)