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Pakistan National Assembly: जेयूआई-एफ अध्यक्ष मौलाना फजल ने देश की दुर्दशा के लिए पर्दे के पीछे से फैसले लेने वाली अदृश्य ताकतों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने निर्वाचित नेताओं को महज कठपुतली बना दिया है।

Pakistan National Assembly: पाकिस्तान की संसद में एक बार फिर भारत की तारीफ में कसीदे पढ़े गए हैं। 2024 के चुनावों के बाद नेशनल एसेंबली में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) पाकिस्तान के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने अपना पहला भाषण पढ़ा। संसद में मौलाना ने कहा कि पाकिस्तान और भारत ने एक साथ आजादी हासिल की। लेकिन भारत महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है, जबकि हम दिवालिया होने से बचने की भीख मांग रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

जेयूआई-एफ अध्यक्ष ने देश की दुर्दशा के लिए पर्दे के पीछे से फैसले लेने वाली अदृश्य ताकतों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने निर्वाचित नेताओं को महज कठपुतली बना दिया है। मौलाना ने दावा किया कि देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं जो हमें कंट्रोल कर रही हैं। वह निर्णय लेती हैं। जबकि हम सिर्फ कठपुतली हैं। रहमान ने मौजूदा संसद की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसके सदस्यों पर सिद्धांतों को त्यागने और लोकतंत्र को बेचने का आरोप लगाया।

नौकरशाह तय करते हैं सरकारें और प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में प्रतिनिधित्व की स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए रहमान ने पूछा कि क्या संसद वास्तव में लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें महलों में बनती हैं और नौकरशाह तय करते हैं कि प्रधानमंत्री कौन होगा। मौलाना फजल ने सवाल किया कि कब तक हम समझौता करते रहेंगे? उन्होंने यह भी पूछा कि कब तक हम विधायक चुनने के लिए बाहरी ताकतों की मदद मांगते रहेंगे। 

Maulana Fazlur Rehman
Maulana Fazlur Rehman

हारने और जीतने वाले दोनों संतुष्ट नहीं
मौलाना ने 2018 और 2024 दोनों चुनावों में चुनावी धांधली की निंदा की और कथित तौर पर नकली प्रतिनिधियों के सत्ता में आने की निंदा की। रहमान ने असुरक्षा से ग्रस्त राष्ट्र में जवाबदेही के संबंध में चिंताओं का हवाला देते हुए स्वतंत्र रूप से कानून बनाने में कानून निर्माताओं की कथित शक्तिहीनता पर अफसोस जताया। उन्होंने सवाल किया कि हारने और जीतने वाले दोनों संतुष्ट नहीं है। क्या इस संसद में बैठते समय हमारी अंतरात्मक साफ हो सकती है?

प्रत्येक पाकिस्तानी पर राष्ट्रीय ऋण के बोझ को उजागर करते हुए रहमान ने देश में व्याप्त स्थिरता की निंदा की और कहा कि ऐसी परिस्थितियां प्रगति में बाधक हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपने देश को ठहराव का शिकार बना दिया है, ऐसे देश प्रगति नहीं कर सकते।

मार्च का ऐलान, कहा- कोई बीच में आया तो अंजाम भुगतेगा
रहमान ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को सार्वजनिक सभा आयोजित करने की अनुमति देने की वकालत की। उन्होंने 2 मई और 9 मई को कराची और पेशावर में 'मिलियन मार्च' की घोषणा की। साथ ही अधिकारियों को आगाह किया। कहा कि यदि प्रदर्शनों में बाधा डालने के प्रयास किया तो संभावित परिणामों के लिए तैयार रहना होगा। रहमान ने कहा कि लोगों की भीड़ को रोका नहीं जा सकता और जो लोग कोशिश करेंगे उन्हें परिणाम भुगतना होगा।

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