तबाही की दास्तानः जानिए केदारनाथ में क्या हुआ था 16 जून की रात, कैसे बरसी थी मौत

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By - haribhoomi.com |15 Jun 2014 6:30 PM
वैज्ञानिकों ने तबाही के अपने कारण दिए हैं लेकिन भक्त इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं।
केदारनाथ. उत्तराखंड त्रासदी को एक साल पुरा हो चुका है। इस भयानक आपदा में किसी तरह जिंदा बचे रविंद्र भट्ट को आज भी नींद नहीं आती है। रविंद्र बताते हैं कि ने बताया कि 16 जून 2013 को शाम आठ बजे तक धाम में सब कुछ सामान्य था। हल्की बारिश हुई थी, लेकिन अचानक 8:15 बजे मंदिर के ऊपर से पानी का सैलाब सा आता दिखा।
भट्ट के अनुसार वह जान बचाकर भागे और अन्य तीर्थ यात्रियों की तरह मंदिर में शरण लेने पहुंचे। रातभर लोग एक दूसरे को ढांढस बंधाते हुए बारिश रुकने की प्रार्थना करते रहे। रात कब गुजरी किसी को पता नहीं चली। 17 जून को सुबह 6:55 बजे एक बार फिर पानी का सैलाब आया। इसने धाम में काफी तबाही मचाई और आगे बढ़ गया। उन्होंने बताया कि इस तबाही के बाद धाम में कई शव बिखरे दिखे।
भट्ट के अनुसार वह जान बचाकर भागे और अन्य तीर्थ यात्रियों की तरह मंदिर में शरण लेने पहुंचे। रातभर लोग एक दूसरे को ढांढस बंधाते हुए बारिश रुकने की प्रार्थना करते रहे। रात कब गुजरी किसी को पता नहीं चली। 17 जून को सुबह 6:55 बजे एक बार फिर पानी का सैलाब आया। इसने धाम में काफी तबाही मचाई और आगे बढ़ गया। उन्होंने बताया कि इस तबाही के बाद धाम में कई शव बिखरे दिखे।
रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में उपचार के बाद किसी तरह बचाए गए स्थानीय सीओ आर डिमरी बताते हैं कि वह और तत्कालीन एसडीएम राकेश तिवारी रात में पानी बढ़ने पर गेस्ट हाउस छोड़कर केदारनाथ मंदिर के बगल में स्थित धर्मशाला में जाने को तैयार हुए। तभी तेज पानी आया और वे बहने लगे। बड़ी मुश्किल से बाहर निकल कर मंदिर में पहुंचे।
16 की रात को भारत सेवा आश्रम में पानी घुस गया। 17 की सुबह लगभग सात बजे गांधी सरोवर से आया पानी का सैलाब पत्थरों और बोल्डरों के साथ मंदिर पर जोर मारने लगा। इससे मंदिर के अगल-बगल कटाव हो गया। उन्होंने किसी तरह मंदिर के अंदर घुसकर एक पिलर को पकड़ लिया। पानी वीआईपी गेट से घुसा और मुख्य दरवाजे से बाहर निकल गया। इस दौरान जो किसी चीज को पकड़ नहीं पाया वह पानी में बह गया।
16 की रात को भारत सेवा आश्रम में पानी घुस गया। 17 की सुबह लगभग सात बजे गांधी सरोवर से आया पानी का सैलाब पत्थरों और बोल्डरों के साथ मंदिर पर जोर मारने लगा। इससे मंदिर के अगल-बगल कटाव हो गया। उन्होंने किसी तरह मंदिर के अंदर घुसकर एक पिलर को पकड़ लिया। पानी वीआईपी गेट से घुसा और मुख्य दरवाजे से बाहर निकल गया। इस दौरान जो किसी चीज को पकड़ नहीं पाया वह पानी में बह गया।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, तबाही के चार धार्मिक कारण-
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