Pushpak Reusable Launch Vehicle: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार, 22 मार्च को एक और सफलता का झंडा बुलंद किया है। इसरो ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में सुबह 7 बजे  21वीं सदी के 'पुष्पक विमान' की सफल लॉन्चिंग की। इसका नाम री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) है। हवाई जहाज जैसा दिखने वाला यह विमान एक रॉकेट है, जो दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है।  

चित्रदुर्ग के पास चल्लकेरे में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में लैंडिंग मिशन के वक्त इसरो चीफ एस सोमनाथ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इसरो में एक्स पर लिखा कि इसरो ने एक बार फिर कमाल किया। पुष्पक (RLV-TD) रनवे पर बेहद सटीकता से उतरा। पुष्पक का प्रक्षेपण अंतरिक्ष पहुंच को अधिक किफायती और टिकाऊ बनाने की दिशा में भारत का साहसिक प्रयास है।

ISRO Pushpak Viman

चिनूक हेलीकॉप्टर ने हवा में छोड़ा
पुष्पक को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से उठाया गया। इसके बाद 4.5 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया। पुष्पक विमान ऑटोमैटिक रूप से रनवे के पास पहुंचा। यह रनवे पर ठीक से उतरा। इस प्रक्रिया में पुष्पक ने अपने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया। 

पुष्पक विमान को बनाने में एक दशक का समय लगा है। इस विमान ने पहली बार 2016 में श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी थी। इसके बाद उसे बंगाल की खाड़ी में एक वर्चुअल रनवे पर सफलतापूर्वक उतारा गया था। हालांकि वह समुद्र में डूब गया था। इसके बाद दूसरा परीक्षक 2 अप्रैल 2023 को चित्रदुर्ग में किया गया। आज शुक्रवार को तीसरी बार परीक्षण किया गया। 

ISRO Pushpak Viman

क्यों नाम पड़ा पुष्पक, जानें खासियत

  • इसरो ने इस रॉकेट का नाम रामायण के पौराणिक 'पुष्पक विमान' के नाम पर रखा है। जिसे धन के देतवा भगवान कुबेर का वाहन माना जाता है।
  • इसरो चीफ का कहना है कि भविष्य में पुष्पक विमान कॉमर्शियल रूप से उपलब्ध लॉन्चर बन जाएगा। इससे भारत के लिए पैसा कमाने वाला बन सकता है। 
  • इसकी लंबाई 6.5 मीटर और वजन 1.75 टन है। इसे स्वदेशी अंतरिक्ष शटल भी कहा जाता है। आकार एक एसयूवी कार जैसा है। 
  • जटिल परिस्थितियों में भी इसकी रोबोटिक लैंडिंग क्षमता इसे काफी उन्नत बनाती है। 
  • स्पेस में फैले कचरे को इकट्ठा कर धरती पर लाने में यह काफी मददगार हो सकता है। 
ISRO Pushpak Viman

फरवरी में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को इसरो चीफ सोमनाथ ने पुष्पक विमान की जानकारी दी थी। जनवरी 2012 में इसरो के आरएलवी अंतरिक्ष यान के डिजाइन को राष्ट्रीय समीक्षा समिति ने पास किया था। मंजूरी मिलने के बाद पहला प्रोटोटाइप बनाया गया और उसे आरएलवी-टीडी (टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर) नाम दिया गया।