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High school student suicide Banda: बांदा के बिसंडा थाना क्षेत्र में 17 वर्षीय छात्रा ने मंगलवार सुबह खदुकुशी की है। वह सिरफिरे युवक से परेशान थी।

High school student suicide Banda: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में मन को व्यथित कर देनी वाली घटना सामने आई है। हाईस्कूल की छात्रा ने सिरफिरे आशिक से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। खुदकुशी से पहले पत्र लिखकर उसने न सिर्फ दर्द बयां किया, बल्कि आरोपी को सजा दिलाने की गुहार भी लगाई है। छात्रा ने बताया कि कैसे-कैसे उसे मरने को मजबूर किया गया। उसने लिखा कि पापा मुझे मारने वाले को मौत से कम सजा न दिलाना।

बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र में 17 वर्षीय छात्रा ने मंगलवार सुबह घर में फंदा लगाकर खदुकुशी की थी। बड़ी देर तक कमरे से नहीं निकली तो परिजनों ने अंदर झांकर कर देखा तो हैरान रह गए। उसका शव फंदे से लटक रहा था। पास में सुसाइड नोट पड़ा था, जिसमें बताया कि गांव के लड़के की हरकतों परेशान होकर मौत को गले लगाया है। 

बिसंडा थाना इंस्पेक्टर श्याम बाबू शुक्ला भी प्रथम दृष्टया खुदकुशी मान रहे हैं। आरोपी के घर में दबिश दी, लेकिन कोई नहीं मिला। नाते-रिश्तेदारों व साथियों की जानकारी जुटाई जा रही है। मोबाइल जब्त कर कॉल डिटेल निकाली जा रही है। 

छात्रा की मौत से मां और उसकी छोटी बहनें बदहवास हैं। जिसने भी सुसाइड नोट को पढ़ा, आंसू नहीं रोक पाया। पिता बार बार सुसाइड नोट देखता है और कभी दीवार सिर पटकता है तो आरोपी का नाम लेकर चीखता। बदहवास मां घर के कोने में पत्थर बनी बैठी है। मोहल्ले की महिलाएं बार-बार चेहरे पर पानी के छीटे मारती हैं। 

सुसाइड नोट और घटना से जुड़ी मुख्य बातें 

  • छात्रा ने सुसाइड नोट की शुरुआत सेवा में श्रीमान से किया है। यानी उसने पुलिस को अपना दर्द बताने की कोशिश की है। सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि गांव के लड़के ने छात्रा काे जबरन फोन पकड़ाकर बात करने के लिए दबाव बनाता था। मना करने पर बदनाम करने की धमकी देता था। 
  • सुसाइड नोट में छात्रा की बेबशी साफ झलकती है। उसने लिखा है कि आरोपी एक तो भला बुरा कहता था और दूसरी ओर वह बदनाम करने की धमकी भी देता था। घर में बताओ तो वह भी डांट फटकार लगाते थे। वह इस कदर परेशान हो गई कि आत्महत्या के सिवा कोई रास्ता नहीं दिखा। 
  • पीड़ित परिजनों की मानें तो चार माह पहले भी बेटी ने आरोपी की हरकतें साझा की थी। जिसके बाद उन्होंने आरोपी के परिनजों से समझाने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं माना और बेटी को मरने के लिए मजबूर करता रहा। परिजन लोक-लाज के डर से पुलिस से शिकायत नहीं की, अन्यथा बच्ची जीवित होती। 

 

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