लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी को तीन साल की सजा सुनाई है। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला विचाराधान है। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 10 लाख का जुर्माना व 3 साल की कैद की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। स्पेशल जज एमपी एमएलए कोर्ट डॉ दिनेश चंद्र शुक्ला ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व मंत्री त्रिपाठी को फिलहाल 40 दिन के लिए अंतरिम जमानत दे दी है।
2012 में दर्ज हुआ था केस
राकेश धर त्रिपाठी राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री थे। फिलहाल, वह केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाली अपना दल एस में शामिल हैं। उनके खिलाफ 23 नवंबर 2012 को इंस्पेक्टर रामसुख राम ने प्रयागराज के मुठ्ठीगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। एफआईआर के बाद मामला जांच के लिए विजिलेंस को सौंपी थी। विजिलेंस ने वाराणसी जिला कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। बाद में यह केस एमपी एमएलए की स्पेशल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था।
जुर्माना अदा न करने पर छह माह के अतिरिक्त कारावास
एमपी एमएलए कोर्ट के स्पेशल जज डॉ दिनेश चंद्र शुक्ला ने मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप तय किया है। जुर्माना अदा न करने पर छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है।
मंत्री रहते कमाए थे 49 लाख 49 हजार 928 रुपए
राकेश धर त्रिपाठी 1 मई 2007 से 31 दिसंबर 2011 तक यानी करीब चार साल उच्च शिक्षा मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने आय से समस्त वैध स्रोतों से 49 लाख 49 हजार 928 रुपए अर्जित किया। संपत्ति अर्जन व भरण पोषण पर दो करोड़ 67 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किया। जो आय से 2 करोड़ 17 लाख रुपए अधिक है। जांच टीम व कोर्ट को पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी स्पष्टीकरण भी नहीं दे सके। कोर्ट ने भी दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।