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Ram lalla Divine Ornaments: अयोध्या में भगवान राम अपने भव्य महल में विराजमान हो गए हैं। पीएम मोदी ने गर्भगृह में पूजा करने के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की। इसके बाद पीएम मोदी उन श्रमिकों से मिले, जिन्होंने राम मंदिर का निर्माण किया। पीएम मोदी ने उन पर फूल बरसाए।

Ram lalla Divine Ornaments: 500 सालों के लंबे संघर्ष के बाद अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर अपने भक्तों के लिए खुल गया है। भगवान श्रीराम अपने बाल स्वरूप में मंदिर के गर्भगृह में बने सिंहासन पर विराजमान हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की। अपने महा प्रासाद में भगवान श्री रामलला दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सुशोभित हैं। इन आभूषणों और वस्त्रों का आध्यात्मिक महत्व है। साथ ही बेहद कीमती भी हैं। 

लखनऊ में बने आभूषण, डिजाइन ने बनाए वस्त्र
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आभूषणों और वस्त्रों की जानकारी साझा की है। इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद् वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस और आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के बाद किया गया है। इन आभूषणों को अयोध्या के राजा यतींद्र मिश्रा की निर्देशन में लखनऊ में अंकुर आनन्द की संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने किया है।

भगवान रामलला बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती और लाल रंग के पटुके/अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं। इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की जरी और तारों से काम किया गया है। जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं। इन वस्त्रों का निर्माण श्री अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया है।

जानिए नख से सिर तक रामलला ने क्या-क्या धारण किया?

शीश पर मुकुट
यह उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है। इसे माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं।

कुण्डल
मुकुट या किरीट के अनुरूप ही और उसी डिजाईन के क्रम में भगवान के कर्ण आभूषण बनाए गए हैं। जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है।

कण्ठा
गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है। जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और मध्य में सूर्य देव बने हैं। सोने से बना हुआ यह कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं।

हृदय पर कौस्तुभमणि
भगवान को हृदय में कौस्तुभमणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं। इसलिए इसे धारण कराया गया है।

पदिक
पदिक कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाया गया हार होता है। जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्त्व है। यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेंडेंट लगाया गया है।

वैजयन्ती या विजयमाल
यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लंबा और स्वर्ण से निर्मित हार है। जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाए गए हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है। जिसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों- कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी का भी अलंकरण किया गया है। 

कमर में कांची या करधनी
भगवान के कमर में करधनी धारण करायी गयी है, जिसे रत्नजड़ित बनाया गया है। स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है। पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घंटियां भी इसमें लगायी गई है। इन घंटियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं।

भुजबन्ध या अंगद
भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित भुजबन्ध पहनाए गए हैं।

कंकण/कंगन
दोनों ही हाथों में रत्नजड़ित सुंदर कंगन पहनाए गए हैं।

मुद्रिका
बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्न सुशोभित हैं, जिनमें से मोतियां लटक रही हैं।

पैरों में छड़ा और पैजनियां
पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनाए गए हैं। साथ ही स्वर्ण की पैजनियां पहनायी गयी हैं।

बाएं हाथ में स्वर्ण धनुष
भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियां लगी हैं। इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाण धारण कराया गया है।

गले में वनमाला
भगवान रामलला के गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है।

मस्तक पर तिलक
भगवान के मस्तक पर उनके पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है।

चरणों के नीचे कमल
भगवान के चरणों के नीचे  जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गयी है।

खिलौनों का भी इंतजाम
भगवान रामलला की आयु 5 वर्ष की है। इसलिए पारंपरिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गए हैं। खिलौनों में झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी तथा लट्टू शामिल हैं। भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है।

भगवान रामलला की अद्भुत छटा देखकर लोग भाव विह्वल हो उठे। देखिए ऐसी ही चार फोटो

Ayodhya Ram Mandir
साध्वी ऋतंभरा की आंखों से आंसू छलक आए। वे समारोह में बैठीं अपने आंसुओं को पोंछते नजर आईं।
Ayodhya Ram Mandir
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में संकल्प की पूर्ति देख एक संत की आंखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी।
Ayodhya Ram Mandir
पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद अयोध्या पहुंचे थे। वे राम मंदिर की भव्यता देखकर भाव विभोर हो उठे। उनकी आंखों में आंसू थे।
Ayodhya Ram Mandir
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 8 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे। पूरे देश से संत आए थे। पद्म भूषण राज्यसभा सांसद सोनल मान सिंह भाव विभोर होकर रामलला को नमन करती नजर आईं।

नागर शैली में भगवान राम का मंदिर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की। मंदिर के गर्भगृह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। भव्य मंदिर में समारोह के लिए 8,000 से अधिक मेहमानों को आमंत्रित किया गया था।

मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है। जबकि चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। इसमें 392 स्तंभ और 44 दरवाजे लगे हैं। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों की मूर्तियों की नक्काशी की गई है। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बाल स्वरूप रामलला को स्थापित किया गया है। 

मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है, जहां सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है। मंदिर में कुल पांच मंडप हैं। मंदिर के पास प्राचीन काल का एक ऐतिहासिक कुआं है। जिसे सीता कूप के नाम से जाना जाता है। मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुबेर टीला है। यहां भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।

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