प्रशांत किशोर को EC का नोटिस: बिहार के साथ बंगाल की वोटर लिस्ट में भी नाम, 3 दिन में देना होगा स्पष्टीकरण

बिहार के साथ बंगाल की वोटर लिस्ट में भी नाम, 3 दिन में देना होगा स्पष्टीकरण
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नोटिस के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत पाया गया है।

चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर को बिहार (करहगर) और पश्चिम बंगाल (भवानीपुर) दोनों की मतदाता सूची में नाम होने के लिए नोटिस जारी किया है।

पटना : चुनावी रणनीतिकार से 'जन सुराज' के संस्थापक बने प्रशांत किशोर के लिए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुश्किलें बढ़ गई हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने कथित तौर पर दो अलग-अलग राज्यों—बिहार और पश्चिम बंगाल—की मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज होने के मामले में उन्हें नोटिस जारी किया है। बिहार के करहगर विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक निबंधन अधिकारी द्वारा जारी इस नोटिस में प्रशांत किशोर को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के उल्लंघन के लिए तीन दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

बिहार और बंगाल में दोहरी प्रविष्टि का विवरण

नोटिस के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत पाया गया है, जो एक कानूनी अपराध है। पहली प्रविष्टि उनके गृह राज्य बिहार के रोहतास जिले में सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करहगर विधानसभा क्षेत्र में है। यहां उनका मतदान केंद्र उनके पैतृक गांव कोनार का मध्य विद्यालय बताया गया है। वहीं, दूसरी प्रविष्टि पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में है। यहा उनका पता कोलकाता में 121 कालीघाट रोड बताया गया है, जो तृणमूल कांग्रेस का मुख्यालय भी है। यह पता इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर TMC के प्रमुख रणनीतिकार थे।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 स्पष्ट रूप से किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने से रोकती है।

जन सुराज टीम का बचाव और कानूनी प्रावधान

इस विवाद के सामने आने के बाद, प्रशांत किशोर की पार्टी 'जन सुराज' की टीम ने अपना बचाव प्रस्तुत किया है। टीम के सदस्यों का कहना है कि प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद, जब उन्होंने बिहार में अपना राजनीतिक अभियान शुरू किया, तो बिहार के करहगर में अपना नाम मतदाता के रूप में दर्ज करा लिया था। इसके साथ ही, उन्होंने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची से अपना नाम हटाने के लिए विधिवत आवेदन भी किया था। टीम के अनुसार, यह अनियमितता उनकी गलती के बजाय चुनाव आयोग की प्रक्रियागत देरी के कारण हुई है।

हालांकि, आयोग ने साफ कर दिया है कि इस मामले में स्पष्टीकरण अनिवार्य है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, दोहरी प्रविष्टि के इस उल्लंघन के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के तहत दोषी पाए जाने पर एक वर्ष तक की जेल, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है, जो मामले की गंभीरता को दर्शाता है।

चुनावी माहौल में उठे राजनीतिक सवाल

प्रशांत किशोर, जो बिहार में 'जन सुराज' के माध्यम से एक बड़ा राजनीतिक बदलाव लाने का दावा कर रहे हैं, उनके लिए यह नोटिस एक बड़ा झटका है। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और उनकी पार्टी राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर प्रशांत किशोर की ईमानदारी और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

प्रशांत किशोर को अब न केवल आयोग के नोटिस का कानूनी रूप से सामना करना है, बल्कि बिहार की जनता के बीच अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता को भी बनाए रखना होगा।

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