यूपी में SIR की नई गाइडलाइन: मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए सिर्फ आधार कार्ड मान्य नहीं, इन वैकल्पिक दस्तावेजों की होगी जरूरत

चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मतदाता पहचान पत्र बनाने और सूची में संशोधन की प्रक्रिया में अब बड़ा बदलाव किया गया है। चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियो को स्पष्ट निर्देश भेजे हैं कि मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए केवल आधार कार्ड को पहचान या निवास का एकमात्र प्रमाण नहीं माना जाएगा।
यह निर्देश विशेष रूप से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के लिए चलाया जा रहा है। आयोग ने निर्देश दिया है कि आवेदकों को अनिवार्य रूप से अन्य सहायक दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे।
क्यों लिया गया यह सख्त कदम?
यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि चुनाव आयोग ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। यह केवल एक व्यक्ति की पहचान और निवास को प्रमाणित करता है, लेकिन इसे भारतीय नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता।
इसके अतिरिक्त, मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की डुप्लीकेसी या व्यापक मताधिकार वंचन के जोखिम को कम करने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक था। आयोग का मानना है कि केवल एक दस्तावेज़ पर निर्भर रहने से सत्यापन प्रक्रिया कमजोर हो सकती है।
आयोग ने पूर्व में भी, विशेष रूप से बिहार और अन्य राज्यों में, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद यह स्पष्ट किया था कि आधार को अन्य दस्तावेजों के साथ ही एक पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन वह नागरिकता सिद्ध नहीं करता।
पंजीकरण के लिए आवश्यक वैकल्पिक दस्तावेज
मतदाता सूची में नाम शामिल करने या संशोधन करने के लिए, आवेदक को अब आधार कार्ड के साथ-साथ पहचान और निवास के प्रमाण के रूप में कम से कम एक अन्य दस्तावेज अनिवार्य रूप से संलग्न करना होगा। चुनाव आयोग ने वैकल्पिक दस्तावेजों की एक लंबी सूची प्रदान की है, जिनमें शामिल हैं:-
* मान्य भारतीय पासपोर्ट।
* ड्राइविंग लाइसेंस।
* केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी सेवा पहचान पत्र।
* बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक।
* पैन कार्ड।
* शैक्षणिक प्रमाणपत्र (मैट्रिकुलेशन या समकक्ष)।
* सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र।
इनमें से किसी भी एक दस्तावेज को जमा करना अनिवार्य है ताकि पता और नागरिकता की स्थिति का सही से सत्यापन किया जा सके। यह नियम फॉर्म 6 (मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन) भरने वाले सभी नए और स्थानांतरित आवेदकों पर लागू होता है।
जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश और सत्यापन की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों और ईआरओ को इस संबंध में सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि बूथ लेवल ऑफिसर केवल आधार कार्ड जमा करने वाले आवेदनों को बिना अन्य सहायक दस्तावेजों के स्वीकार न करें।
यदि कोई आवेदक अन्य दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाता है, तो ईआरओ द्वारा व्यक्तिगत रूप से फील्ड वेरिफिकेशन किया जाएगा। यह कदम सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल योग्य भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हों।
यह सख्ती आगामी चुनावों के मद्देनजर मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध और त्रुटिमुक्त बनाने के व्यापक अभियान का हिस्सा है।
