बड़ी खबर: यूपी में 2.75 करोड़ गणना फॉर्म वापस न आने से बढ़ सकता है SIR का समय; चुनाव आयोग गंभीर!

यूपी में 2.75 करोड़ गणना फॉर्म वापस न आने से बढ़ सकता है SIR का समय; चुनाव आयोग गंभीर!
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सभी दावों-आपत्तियों का निस्तारण 7 फरवरी 2026 तक किया जाना है, और 14 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा।

आयोग ने धीमी प्रगति पर सख्ती दिखाते हुए डिजिटाइजेशन और मतदान केंद्रों के पुनर्गठन में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर गंभीर स्थिति बनी हुई है। निर्धारित समय-सीमा के बावजूद, राज्य के लगभग 2.75 करोड़ मतदाताओं के गणना प्रपत्र अभी तक वापस जमा नहीं हो पाए हैं।

इस गंभीर लापरवाही और कम प्रगति को देखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने SIR की समय-सीमा को एक बार फिर बढ़ा दिया है और इस धीमी गति पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।

यह अभियान उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है।

धीमी प्रगति पर निर्वाचन आयोग का कड़ा रुख और समय सीमा में विस्तार

SIR अभियान के तहत गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि को पहले 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर 2025 कर दिया गया था, लेकिन कम संख्या में फॉर्म वापस आने के कारण, अब इसे और बढ़ाया जा सकता है।

निर्वाचन आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि प्रत्येक मतदाता को अनिवार्य रूप से फॉर्म भरना है, भले ही उसका नाम 2003 की मतदाता सूची या मौजूदा सूची में शामिल हो। उत्तर प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 15.35 करोड़ है, जिनमें से बड़ी संख्या में 2.75 करोड़ गणना प्रपत्र जमा नहीं हुए हैं।

आयोग ने गणना प्रपत्र वितरण की अंतिम तिथि 11 दिसंबर 2025 तक बढ़ाई है, जिसके बाद अब मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशन 16 दिसंबर को किया जाएगा। दावों और आपत्तियों को 16 दिसंबर से 15 जनवरी 2026 तक स्वीकार किया जाएगा।

सभी दावों-आपत्तियों का निस्तारण 7 फरवरी 2026 तक किया जाना है, और 14 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। गणना प्रपत्र जमा करने में ढिलाई को देखते हुए, चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाया है और जिलाधिकारियों तथा अन्य संबंधित अधिकारियों को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

डिजिटाइजेशन की वर्तमान स्थिति और मतदान केंद्र का पुनर्गठन

गणना प्रपत्रों के डिजिटाइजेशन का कार्य भी साथ-साथ चल रहा है, लेकिन कुल मतदाताओं की तुलना में इसकी गति अभी भी कम है। गुरुवार 27 नवंबर 2025 रात तक लगभग 7.34 करोड़ मतदाताओं के गणना प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन किया जा चुका था, जो कुल मतदाताओं का लगभग 48 प्रतिशत है। चुनाव आयोग ने SIR की प्रक्रिया को गति देने और चुनावी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए हैं।

आयोग ने प्रति मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर अब 1200 कर दी है। इसके परिणामस्वरूप, उत्तर प्रदेश में वर्तमान पोलिंग बूथों की संख्या (1,62,486) में बढ़ोतरी होगी।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि जो कर्मचारी बीएलओ के काम का दबाव सहन नहीं कर पा रहे हैं, उनकी जगह दूसरे कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए, लेकिन साथ ही SIR की प्रक्रिया में कोई बाधा न आने देने पर जोर दिया।

SIR के औचित्य पर विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रिया

विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान केवल प्रशासनिक कवायद नहीं रहा है, बल्कि यह राजनीतिक विवादों में भी घिरा रहा है। विपक्षी दल इसे वोट काटने की प्रक्रिया बताकर विरोध कर रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग इसे मतदाता सूची के शुद्धिकरण का सतत कार्य बता रहा है।

कई विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस और तृणमूल, ने SIR की अवधि बढ़ाने की मांग की थी, क्योंकि वर्तमान समय-सीमा को अव्यावहारिक माना जा रहा था। कुछ ने इस प्रक्रिया को ही रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने याचिकाओं को खारिज कर दिया।

कुछ नेताओं ने खुले तौर पर SIR फॉर्म न भरने का ऐलान किया है, जिससे इस अभियान को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है। इस बीच, निर्वाचन आयोग ने ड्यूटी में लापरवाही के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 32 के तहत बीएलओ के खिलाफ 50 एफआईआर भी दर्ज कराई हैं, जिससे आयोग की सख्ती और अभियान की महत्ता स्पष्ट होती है।


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