उदयपुर: पूर्व राजपरिवार में 493 साल बाद राजतिलक, मेवाड़ के 77वें महाराणा विश्वराज सिंह गद्दी पर बैठे

Vishwaraj Singh Mewar rajtilak
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विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक।
Rajasthan: उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में 493 साल राजतिलक की रस्म निभाई गई। मेवाड़ के 77वें महाराणा विश्वराज सिंह गद्दी पर बैठे।

Rajasthan: उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन हो गया। इसके बाद यहां की गद्दी खाली हो गई। जिसपर सोमवार, 25 नवंबर को महेंद्र सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई। इस दौरान चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में दस्तूर (रस्म) कार्यक्रम के दौरान खून से राजतिलक कर 21 तोपों की सलामी दी गई। उदयपुर की गद्दी के विश्वराज एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान होंगे।

राजतंत्र खत्म होने और लोकतंत्र आने के बाद यहां केवल प्रतीकात्मक रस्म निभाई जाती है। 493 साल बाद चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित फतेह प्रकाश महल में राजतिलक की रस्म निभाई गई है। विश्वराज सिंह मेवाड़ को बधाई देने के लिए देशभर के राजघरानों से लोग एकत्रित हुए हैं। विश्वराज सिंह वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक भी हैं।

अंगूठा काटकर खून से लगाया तिलक
राजतिलक की रस्म के दौरान सलूंबर रावत देवव्रत सिंह ने अपना अंगूठा काटकर अपने खून से विश्वराज सिंह मेवाड़ को तिलक लगाया। इसके बाद उन्हें गद्दी पर बैठाया गया। इस दौरान राजतिलक की रस्म में मेवाड़ से जुड़े सलूंबर, आमेठ, देलवाड़ा, भिंडर, देवगढ़, बनेड़ा, कोठारिया, बेदला, बड़ीसादड़ी, गोगुंदा, पारसोली, बदनोर, बेगूं, घाणेराव, कानोड़ और बिजोलिया के पूर्व राजपरिवार के सदस्य मौजूद रहे।

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