ब्रह्माकुमारीज़ की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी का निधन, 101 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

Grandma Ratanmohini
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ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की परम आदरणीय मुख्य प्रशासिका, योग-तप और साधना की जीवंत मिसाल 101 वर्षीय दादी रतनमोहिनी अब हमारे बीच नहीं रहीं।

Rajasthan: ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की परम आदरणीय मुख्य प्रशासिका, योग-तप और साधना की जीवंत मिसाल 101 वर्षीय दादी रतनमोहिनी अब हमारे बीच नहीं रहीं। उन्होंने सोमवार रात्रि 1:20 बजे अहमदाबाद के जॉइडिस अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। दादी के पार्थिव शरीर को शांतिवन माउंट आबू (मुख्यालय) के कॉन्फ्रेंस हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है, जहां सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है।

दादी रतनमोहिनी जी का जीवन समाज सेवा, योग, नारी सशक्तिकरण और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक रहा है। मात्र 13 वर्ष की आयु में वे ब्रह्माकुमारीज से जुड़ गईं और तब से लेकर अपने जीवन की अंतिम सांस तक उन्होंने संगठन और समाज को अपनी निःस्वार्थ सेवा समर्पित कर दी।

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
वर्ष 2006 में आपके नेतृत्व में निकली युवा पदयात्रा इतनी भव्य थी कि उसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। यह यात्रा लाखों युवाओं को आध्यात्मिकता और सकारात्मकता की राह पर लाने का प्रेरक स्रोत बनी।

मानद उपाधि से सम्मानित
20 फरवरी 2014 को गुलबर्गा विश्वविद्यालय ने उन्हें उनके अद्वितीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया। यह सम्मान न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उन तमाम आध्यात्मिक साधकों के लिए गर्व का विषय है जो उनके मार्गदर्शन में चलते रहे।

दादी रतनमोहिनी जी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक युग थीं- जिन्होंने नारी चेतना, आध्यात्मिक अनुशासन और सेवा के मूल्यों को पूरी दुनिया में फैलाया। उनके निधन से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था और लाखों अनुयायियों को अपूरणीय क्षति हुई है।

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