'कथक के माध्यम से शिव आराधना', मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में इंद्राणी समारोह का आयोजन 

Shiv Aaradhna
X
Shiv Aaradhna
मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित इंद्राणी समारोह में शनिवार को कल्याणी मिश्रा और साथी, रीवा द्वारा बघेली लोकगायन की प्रस्तुति की गई

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित इंद्राणी समारोह में शनिवार को कल्याणी मिश्रा और साथी, रीवा द्वारा बघेली लोकगायन की प्रस्तुति की गई। उन्होंने सोहर, भोलागीत, फगुआ, बरुआ, विवाह, अंजुरी एवं राई गीत की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद साक्षी शर्मा एवं साथी, नई-दिल्ली द्वारा कथक समूह नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से महादेव की आराधना की।

तेलंगाना के लम्बाड़ी नृत्य की प्रस्तुति
अगले क्रम में अकांक्षा वर्मा एवं साथी, सागर द्वारा नौरता नृत्य की प्रस्तुति दी। बुन्देलखण्ड अंचल में नवरात्रि के अवसर पर कुँवारी कन्याएं इसका आयोजन करती हैं। यह पूरे नौ दिन तक चलता है। घर के बाहर एक अलग स्थान पर नौरता बनाया जाता है। समारोह में ई सुनीथा एवं साथी, तेलंगाना द्वारा लम्बाड़ी नृत्य पेश किया। लंबाडी नृत्य तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के बंजारा जनजाति द्वारा किया जाने वाला एक प्राचीन लोक नृत्य है। यह मुख्यत: राजस्थान और तेलंगाना की संस्कृतियों का मिश्रण है। इस नृत्य में कटाई, रोपाई और बुवाई से संबंधित दृश्य शामिल होते हैं। यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अच्छी फसल के लिये भगवान से आशीर्वाद लेने के लिये किया जाता है।

पारंपरिक वेशभूषा में बीहू नृत्य की प्रस्तुति
इसकी अगली कड़ी में गायत्री कोनवार एवं साथी, आसाम द्वारा बीहू नृत्य प्रस्तुत किया। आसाम का यह सबसे प्रचलित लोक नृत्य है। हर्ष और उल्लास का प्रतीक यह नृत्य पूरी तरह से पारंपरिक वेशभूषा में किया जाता है, इसके बाद मीनस सेवक एवं साथी, गुजरात द्वारा गरबा नृत्य की प्रस्तुति दी। नवरात्रि के समय जगह-जगह गरबा नृत्य किया जाता है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story