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Bhopal Metro Rail Project: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मेट्रो ट्रेन चलाने की कवायद तेज कर दी गई है। दूसरे फेज का काम जून में शुरू हो जाएगा। दूसरे फेज में 1540 करोड़ खर्च कर सुभाष नगर से करोंद के बीच 8.77 किमी मेट्रो लाइन बिछाई जाएगी।

Bhopal Metro Rail Project: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मेट्रो ट्रेन चलाने की कवायद तेज कर दी गई है। दूसरे फेज का काम जून में शुरू हो जाएगा। दूसरे फेज में सुभाष नगर से करोंद के बीच 8.77 किमी मेट्रो लाइन बिछाई जाएगी। इस काम को करने में 1540 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 3.39 किमी लंबा अंडरग्राउंड रूट रहेगा। 2 मेट्रो स्टेशन भी बनाए जाएंगे। मेट्रो कॉर्पोरेशन के एमडी चक्रवर्ती ने अफसरों के साथ बैठक कर अंडरग्राउंड रूट के प्लान को समझ लिया है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद काम शुरू हो जाएगा। अधिकारियों का दावा है कि सितंबर 2024 से शहरवासी मेट्रो के सफर का आनंद ले सकेंगे। 

ऐसे समझें: दूसरे फेज में कहां से कहां तक क्या होगा 
बता दें कि दूसरे फेज में 2 प्रोजेक्ट पर काम होगा। पहले में सुभाष नगर डिपो से करोंद तक के रूट में काम किया जाएगा। इसमें 8.77 किमी में से 5.38 किमी हिस्से में 6 एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन बनेंगे। 650 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यूआरसी कंस्ट्रक्शन यह काम करेगी। कंपनी सुभाष नगर, डीबी मॉल, एमपी नगर, केंद्रीय स्कूल, आरकेएमपी, अलकापुरी, डीआरएम ऑफिस और एम्स स्टेशनों का काम भी कर रही है। वहीं दूसरे प्रोजेक्ट के तहत 8.77 किमी के रूट में 3.39 किलोमीटर रूट अंडरग्राउंड होगा। इसमें 2 मेट्रो स्टेशन भोपाल रेलवे स्टेशन और नादरा बस स्टैंड भी रहेंगे। यह काम अलग कंपनी करेगी।

103 मीटर लंबे दो स्टील ब्रिज बनाए जा रहे 
भोपाल में मेट्रो के लिए 103 मीटर लंबे दो स्टील ब्रिज बनाए जा रहे हैं। डीआरएम ऑफिस में पहले 48 मीटर लंबे ब्रिज का काम पिछले एक महीने से चल रहा है। 65 मीटर लंबा दूसरा ब्रिज रेलवे ट्रैक के ऊपर से गुजरेगा। इसके लिए रेलवे से अप्रूवल मिलने का इंतजार है।

भोपाल में पांच मेट्रो आ चुकी हैं 
जानकारी के मुताबिक, भोपाल में कुल 5 मेट्रो आ चुकी है। एक मेट्रो अक्टूबर 2023 में आई थी। फरवरी में दो ट्रेन आई थीं। मार्च में भी 2 मेट्रो भोपाल पहुंची। 6 बड़े ट्रॉलों में सभी कुल 15 कोच लाए गए थे। इसके बाद इनकी मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल के अलावा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग भी शुरू कर दी गई थी। 50 से अधिक इंजीनियर्स, सुपरवाइजर इस काम में जुटे रहे। इसके बाद इन्हें डिपो के ट्रैक पर ही दौड़ाया जा रहा है।

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