शहीद भवन में नाटक ‘टैक्स फ्री’ का मंचन: मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने को समझना ही असली जीवन

play Tax Free
X
play Tax Free
नाटक में दिखाया कि जीवन के पल को खुलकर जीना ही असली जीवन है। इस प्रकार हंसी के ठहाकों के बीच नाटक मैं मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने को समझाने का प्रयास है।

भोपाल। द रिफ़्लेक्शन सोसायटी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट एंड कल्चर द्वारा चार दिवसीय रिफ़्लेक्शन नाट़य महोत्सव का आगाज शहीद भवन में हुआ। जिसके अंतर्गत सोमवार को नाटक ‘टैक्स फ्री’ का मंचन किया गया। नाटक से पूर्व आलोक चटर्जी, राजीव वर्मा, संजय मेहता, अनूप जोशी बंटी को सम्मान दिया गया। नाटक में दिखाया कि जीवन के पल को खुलकर जीना ही असली जीवन है। इस प्रकार हंसी के ठहाकों के बीच नाटक में मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने को समझाने का प्रयास है।

नाटक का सार
चार अंधों पर आधारित नाटक की कहानी ब्लाइंड मेन्स क्लब से शुरू होती है, जहां कुछ फीस देकर नेत्रहीनों का मनोरंजन किया जाता है। क्लब में आने वाले अंधे लाचार होकर नहीं बल्कि मनोरंजन से भरी जिंदगी जीते हैं। क्लब चलाने वाला मास्टर भी अंधा होता है। इसलिए वह क्लब का मुख्य द्वार इस तरह बनाता है कि कोई दूसरा व्यक्ति न हो। वे अपने अंधेपन का फायदा नहीं उठा सकते, इसलिए मुख्य दरवाजा फर्श से 5 फीट ऊंचा है। दरवाजे की ओर एक सीढ़ी ऊपर जा रही है, जैसे ही दरवाजा बजता है, क्लब में प्रवेश करने वाले व्यक्ति की दृष्टिहीनता की जांच की जाती है।

नाटक में आगे क्लब के बाकी सदस्य कभी पीछे रहने वाली काल्पनिक महिला के माध्यम से, तो कभी कैंसर पीड़ित होने की बात से काले से मजाक करते रहते हैं। अंत में काले की बलि देने की कोशिश की जाती है। जो कि फिर से एक मजाक साबित होता है। जो हर नये मेंबर के साथ किया जाता है। कुछ देर बाद क्लब की डोर बेल बजती है। और नए मेंबर सोनावणे अंदर आता है। गेट से निकलते ही सोनावणे नीचे गिर जाता है। सभी मिलकर उसे बताते हैं कि ब्लाइंड मेन्स क्लब में एक नए साथी का स्वागत है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story