बेटी के देहांत से टूट गए थे कवि प्रयाग शुक्ला, नहीं मिल पा रहे थे कविता के लिए शब्द, अब पेंटिंग से उकेरे इमोशन

Poet Prayag Sukla
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कवि प्रयाग शुक्ला।
बेटी के देहांत के बाद कवि प्रयाग शुक्ला दुखी रहने लगे थे। वे कविता लिखने के लिए शब्द भी नहीं ढूंढ पा रहे थे। जिसके बाद उन्होंने शब्द की जगह रंगों का सहारा लिया और अपनी बातों को पेंटिंग में उकेरना शुरू कर दिया।

आशीष नामदेव, भोपाल।
बेटी के देहांत के बाद कवि प्रयाग शुक्ला उसकी याद में दुखी रहने लगे थे, जिसके चलते वो अच्छे लेखक और कवि होने के बाद भी कविताएं नहीं लिख रहे थे। वे कविता लिखने के लिए शब्द भी नहीं ढूंढ पा रहे थे। जिसके बाद उन्होंने शब्द की जगह रंगों का सहारा लिया और अपनी बातों को पेंटिंग में उकेरना शुरू कर दिया। ऐसे ही प्रकृति को उन्होंने कैनवास और शीट पर वॉटर कलर से लोगों के सामने पेंटिंग में प्रस्तुति किया है।

ये बातें होशंगाबाद रोड स्थित आर्ट स्पेस बाय गैलरी में ‘मायराईड ह्यूज’ पेंटिंग एग्जीबिशन की आयोजक और आर्टिस्ट प्रीती पोतदार जैन ने बताया है। उन्होंने बताया कि प्रयाग शुक्ला ने अपनी पेंटिंग में प्रकृति को बहुत करीब से बताया है जिसमें पेड़-पौधे देखने को मिलेंगे और लोगों को जीवन में रंग के महत्व को समझाया है।

Poet Prayag Sukla painting
कवि प्रयाग शुक्ला की पेंटिंग।

यह एग्जीबिशन 13 अक्टूबर तक चलेगी। इस पेंटिंग में डॉ. छाया दुबे, साधना शुक्ला, प्रीती पोतदार जैन और हंसा मिलन कुमार की पेंटिंग लगाई गई है। इन पेंटिंग्स की खास बात यह है कि यह सभी डिफरेंट शैली में है। इसमें करीब 20 से ज्यादा पेंटिंग लगाई गई है।

Painting of poet Prayag Shukla
कवि प्रयाग शुक्ला की पेंटिंग।

कैनवास पर रिश्तों के इमोशन को खत के जरिए उकेरा
प्रीति पोतदार जैन ने बताया कि वो 20 साल से पेंटिंग कर रही है। मैं लाइन्स और लेयर्स पर पेंटिंग करती हूं। मैंने अपनी पेंटिंग के जरिए चिट्ठियां लिखती हूं। इसलिए एक्रेलिक ऑन कैनवास पर रिश्तों के इमोशन को दिखाने की कोशिश की है। जो कैनवास पर खत उकेरने की पेंटिंग है।

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