MP में मिला दुनिया का सबसे पुराना मंदिर: चौमुखनाथ धाम में जारी टीलों की खुदाई, पत्थर की ईंट और शिवलिंग के साथ मिलीं संरचनाएं  

Oldest temple Excavation in Nachna-Kuthara Panna
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Oldest temple Excavation in Nachna-Kuthara Panna
Oldest temple in MP: पन्ना जिले के नचना-कुठारा गांव में 5वीं शताब्दी का पार्वती मंदिर और 8वीं शताब्दी में चौमुखनाथ शिव मंदिर पहले से मौजूद हैं। इन्हीं के पास दो टीलों की खुदाई जारी है। जिसमें शिवलिंग और ईंट-पत्थर की संरचनाएं मिली हैं।

Oldest temple in MP: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ( ASI) ने मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में दुनिया का सबसे पुराना मंदिर मौजूद होने का दावा किया है। इसके लिए पिछले कई दिन से जंगल की खुदाई कराई जा रही है। ASI के विशेषज्ञों ने खुदाई के लिए जिन दो टीलों को चिह्नित किया है, उनके पास पहले से दो प्राचीन मंदिर स्थित हैं। माना जा रहा है, इन्हीं मंदिरों के बीच दुनिया का सबसे पुराना मंदिर था, जो समय के साथ टीलों में तब्दील हो गया है।

दरअसल, सतना और पन्ना जिले की सीमा पर स्थित गुन्नौर तहसील का नचना-कुठारा गांव पुरातात्विक महत्व के लिहाज से काफी समृद्ध है। यहां मौजूद चौमुखनाथा धाम
में 5वीं शताब्दी का पार्वती मंदिर और 8वीं शताब्दी में बना चौमुखनाथ शिव मंदिर स्थित है, जहां हर माह हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी ने बताया कि टीले की खुदाई में अभी पत्थर, ईंट और कुछ संरचनाओं के साथ एक शिवलिंग मिला है। शिवलिंग कितना पुराना और किस पत्थर से बना है, इस बारे में स्पष्ट राय नहीं बन पाई। कुछ विशेषज्ञ पहली अथवा दूसरी शताब्दी का होने का अनुमान लगा रहे हैं।

पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी की मानें तो ASI को 2000 हजार साल पुराना स्मारक मौजूद होने का अनुमान है। पन्ना जिले का नचने कुठार गांव पुरातत्व महत्व का है। यहां पहले से मौजूद मंदिरों के पास 8 टीले हैं। खुदाई के लिए दो टीले चयनित किए गए हैं। पार्वती मंदिर से 33 मीटर दूर स्थित टीले की प्रारंभिक खुदाई शुरू की है।

समृद्ध विरासत का धनी है पन्ना का नचने गांव
पन्ना जिले का नचने-कुठार पुरातत्व ही नहीं समृद्ध विरासत का धनी है। इतिहासकार मानते हैं कि नचना कुठार गांव गुप्ता काल में बड़ा व्यापारिक केंद्र और समृद्ध शहर हुआ करता था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले महानिदेशक जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने इसकी खोज की थी। उन्होंने यहां दो पुराने मंदिर भी खोजे थे। जो माता पार्वती और भोलेनाथ को समर्पित हैं। यह मंदिर 8वीं-9वीं शताब्दी के बताए जाते हैं। इससे जुड़ी 1885 में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है।

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