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MP News: इंदौर के एक डॉक्टर दंपती साइबर फ्राड का शिकार हो गए। जिसकी चर्चा काफी जोरों से है। आरोपियों ने खुद को सीबीआई अफसर बताकर डॉक्टर दंपति को करीब 53 घंटे तक वीडियो कॉल पर रखा। इस दौरान उन्होंने डराकर 8.50 लाख रुपए भी ऐंठ लिए।

MP News: इंदौर के एक डॉक्टर दंपती साइबर फ्राड का शिकार हो गए। जिसकी चर्चा काफी जोरों से है। आरोपियों ने खुद को सीबीआई अफसर बताकर डॉक्टर दंपति को करीब 53 घंटे तक वीडियो कॉल पर रखा। इस दौरान उन्होंने डराकर 8.50 लाख रुपए भी ऐंठ लिए। इंदौर के साइबर एसपी ने बताया कि देश की कोई भी एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती।

इंदौर का जब यह मामला सामने आया तो सब दंग रह गए। हर कोई डिजिटल गिरफ्तारी को सुनकर हैरान है। आरोपियों ने डॉक्टर दंपति की पहले ऑनलाइन तरीकों से जानकारी जुटाई उसके बाद अनजान नंबर से कॉल कर अपने गिरफ्त में ले लिया। डॉकटर दंपति ने बताया कि स्काईप के माध्यम से करीब 53 घंटे तक डिजिटली हालस अरेस्ट कर किया गया। 

सोशल मीडिया में निजी जानकारी शेयर करने से बचें
सबसे बड़ा सवाल यह है, कि आखिर इतने पढ़े-लिखे लोग कैसे झांसे में आ सकते हैं। इसके लिए सोशल मीडिया में अपनी निजी चीजों को कम शेयर करना चाहिए। ठग इन्ही का सहारा लेकर डराते हैं। इसके बाद पैसों की मांग करते हैं। ठग आपके बारे में इतनी जानकारी जुटा लेते हैं कि आप डरकर उनकी बताई हुई बातों को फॉलो करने लगते हैं।

साइबर फ्राड से कैसे बचें?
इंदौर साइबर एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि समझदारी ही इसके बचाव का उपाय है। ठगी करने वाले आरोपी तीन चीज भय, लालच और अज्ञानता के जरिए लोगों की जानकारी जुटाकर उनको टारगेट करते हैं। इस दौरान वे खुद को ईडी, सीबीआई और आरबीआई का अफसर या अन्य अधिकारी बताकर ठगी करते हैं। ऐसी घटना अगर ऑनलाइन होती है तो तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए। ठगी की जानकारी लगते ही तुरंत 1930 पर कॉल करें।

फर्जी अधिकारी की कैसे करें पहचान
अगर कोई भी अफसर या कर्मचारी को ऑनलाइन अपना कार्ड दिखा रहा है तो वह फ्राड है। क्योंकि अधिकतर गिरफ्तारी फिजिकल ही होती है। जिसमें संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के साथ या तो लोकल पुलिस या आपका वारंट होगा। ऑनलाइन तरीका पूरी तरह से फ्राड होता है। इस मामले में साइबर पुलिस लगातार एडवाइजरी भी जारी करती रहती है।

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