5 डॉक्टरों की FAIMA को चिट्ठी: 31 मई को सामूहिक आत्महत्या की धमकी, कहा- GMC के जहरीले माहौल में घुट रहा दम

Bhopal Gandhi Medical College
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राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के 5 डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मदद की गुहार लगाई है।
Bhopal Gandhi Medical College: गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के पांच रेसीडेंड डॉक्टरों ने सोमवार 15 अप्रैल को FAIMA अध्यक्ष को पत्र लिखकर सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है। कहा, यहां माहौल टॉक्सिक है।

Bhopal Gandhi Medical College: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज के पांच रेसीडेंड डॉक्टरों ने सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है। सोमवार 15 अप्रैल को फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) नई दिल्ली के अध्यक्ष के नाम खुला पत्र लिखा है। पत्र में अपना नाम छिपाते हुए इन डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के माहौल को टॉक्सिक बताया है। साथ ही लिखा कि हालात न सुधरे 31 मई को ग्रुप सुसाइड करेंगे। इसे सुसाइड नोट समझा जाए।

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन में हड़कंप
द 5 रेसीडेंसी ऑफ टॉक्सिसिटी हब, गांधी मेडिकल कॉलेज हमीदिया हॉस्पिटल भोपाल के पते से जारी इस चिट्ठी पर ग्रुप सुसाइड की चेतावनी देने वाले डॉक्टर्स के नाम नहीं हैं। लिहाजा, इसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, चिट्ठी से प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। जीएमसी के डीन डॉ. सलिल भार्गव ने लेटर सामने आते ही जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की बैठक कर उनकी समस्याएं समझने की कोशिश की।

चिट्ठी में लिखी जूनियर डॉक्टरों की पीड़ा
गांधी मेडिकल कॉलेज परिसर से जारी चिट्ठी में बताया गया कि हम लोग यहां रात-दिन हर पल जहरीली सांस ले रहे हैं। इस जहरीली संस्कृति का लंबे समय से हिस्सा हैं। लगा डॉक्टरों की शहादत के बाद माहौल बदलेगा, लेकिन चीजें वैसी की वैसी हैं। बिना सोए 36-36 घंटे कांटिन्यू काम करना पड़ता है। बिना अवकाश और गलतियां के भी हमारे साथ दुर्व्यहार होता है। कुछ कहते हैं तो सीनियर्स धमकाते हैं। कहते हैं चुप रहो, नहीं तो परीक्षा में पास नहीं होंगे। डिग्री और डिप्लोमा भी नहीं मिलेगा।

हालात न सुधरे तो 31 को करेंगे ग्रुप सुसाइड
गांधी मेडिकल कॉलेज के पांच डॉक्टरों ने सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है। कहा, उनके इस पत्र को सुसाइड नोट माना जाए। हालत न सुधरे तो हम सभी लोग 31 मई को हम लोग एक साथ आत्महत्या कर लेंगे।

CM साहब आप तो समझो परेशानी, हम बेटे जैसे हैं
रेसीडेंस डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा कि यदि सीएम पत्र पढ़ रहे हों तो हमारी परेशानी समझें। क्योंकि आपकी बेटी तो मेडिकल स्टूडेंट रही है। हम लोग भी आपके बच्चों के जैसे हैं। व्यर्थ की शिकायत न समझें। क्योंकि हम भी चाहते हैं कि अच्छा काम सीखें, डिग्री लें और अच्छी सेवाएं दें। लेकिन, यहां का माहौल आत्महत्या के लिए मजबूर कर रहा है।

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